संपादकीय चिट्ठा

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जयंती: खड़ी बोली के शिल्पी, ...

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (जन्म: 3 अगस्त 1886) हिंदी की खड़ी बोली को साहित्यिक ...

प्रेमचंद की साहित्यिक दृष्टि और सामाजिक चेतना: गाँव, कि...

यह संपादकीय लेख हिंदी साहित्य के युग प्रवर्तक लेखक मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक द...

ईश्वरचंद विद्यासागर: आधुनिक भारत के शिल्पकार, जिनकी विच...

ईश्वरचंद विद्यासागर 19वीं शताब्दी के भारत के महान शिक्षाविद्, समाज-सुधारक और मान...

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: एक वैज्ञानिक, एक राष्ट्रपति, ...

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के महानतम वैज्ञानिकों, शिक्षकों और राष्ट्रनिर्माता...

जात-पांत बनाम जन-जागरण: क्या बिहार फिर पूछेगा – 'मैं कौ...

यह संपादकीय बिहार के इतिहास में सामाजिक परिवर्तन के पुरोधाओं – जैसे डॉ. राजेंद्र...

मानव शरीर की आत्मनिर्भरता: संरचना, विज्ञान और स्वास्थ्य...

यह संपादकीय मानव शरीर की संरचना, उसकी कार्यप्रणाली और वैज्ञानिक विश्लेषण के माध्...

शारीरिक स्वायत्तता: स्वतंत्रता से संविधान तक एक सामाजिक...

शारीरिक स्वायत्तता केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं, बल्कि यह स्वास्थ्य, गरिमा, लै...

आज़ाद के आदर्श, आज के संदर्भ: नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा

23 जुलाई को भारत अपने महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती मनाता है। यह केव...

‘स्वराज’ से राष्ट्र-बोध तक: लोकमान्य तिलक के विचारों की...

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूतों में से एक...

ध्यान अर्थव्यवस्था और नैतिक पतन: सोशल मीडिया के व्यावसा...

यह लेख सोशल मीडिया के एल्गोरिदमिक और विज्ञापन-आधारित व्यावसायिक मॉडल की आलोचनात्...

चेतना की रक्षा सबसे बड़ा प्रतिरोध : सूचना युग में स्वतं...

'चेतना की रक्षा सबसे बड़ा प्रतिरोध है' इस मूल विचार को केंद्र में रखकर यह विश्ले...

उत्तर प्रदेश पुलिस: सुधार की राह पर या साख के संकट में?

यह संपादकीय उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन की मौजूदा स्थिति, तकनीकी व प्रशासनिक सुधा...

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पाण्डेय: एक ...

यह संपादकीय लेख 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पाण्डेय के जीवन, उनके...

अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस: क्या वैश्विक न्याय सचमुच सर्व...

अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस (17 जुलाई) वैश्विक न्याय के उस आदर्श की याद दिलाता है, ...

अशांत बांग्लादेश: अंतरराष्ट्रीय दखल और अंदरुनी उथल-पुथल...

बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफ़े और अंतरिम सरकार के गठन क...

कमल कौर की हत्या: सोशल मीडिया युग में नैतिक सतर्कता और ...

कमल कौर की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि डिजिटल युग में महिलाओं की अ...