प्रो. चंद्रकला पांडेय को श्रद्धांजलि | कोलकाता समाचार
भारतीय भाषा परिषद में आयोजित भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा में शिक्षिका, कवयित्री और विचारक प्रो. चंद्रकला पांडेय को याद किया गया। छात्रों, सहयोगियों और परिजनों ने उनके योगदानों को नमन किया।

कोलकाता, 21 सितंबर। भारतीय भाषा परिषद के सभागार में आज एक मार्मिक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ, जिसमें दिवंगत प्रो. चंद्रकला पांडेय के बहुआयामी व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सभा की शुरुआत दो मिनट के मौन से हुई, जिसके बाद साहित्य, शिक्षा और सामाजिक सरोकारों से जुड़े कई वक्ताओं ने उनके साथ बिताए संस्मरणों और उनके प्रेरक जीवन पर प्रकाश डाला।
डॉ. इतु सिंह ने प्रो. पांडेय की एक मार्मिक कविता का पाठ कर उन्हें काव्यांजलि दी। प्रीति सिंघी ने उनके प्रेरणादायी व्यक्तित्व का स्मरण करते हुए कहा कि वे नारी स्वतंत्रता की सशक्त आवाज़ थीं। डॉ. मंजुरानी गुप्ता ने उनके साथ बिताए निजी क्षणों को साझा किया, जिन्हें श्रोताओं ने अत्यंत संवेदनशीलता के साथ सुना। रामप्रवेश रजक ने कहा कि प्रो. पांडेय उनके लिए एक ममतामयी अभिभावक के समान थीं। अमिताभ सिंह और सीमा सिंह ने बताया कि उन्होंने महिलाओं की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता पर सदैव बल दिया। प्रो. राजश्री शुक्ला ने उन्हें अपनी जीवन-गुरु बताते हुए कहा, "उनसे जो सीखा, उसे जीवन में उतारने का प्रयास कर रही हूं।" अमित राय ने याद किया कि अल्पकालिक परिचय में ही उन्होंने बांग्ला भाषा से परिचित करा दिया था। राजेश मिश्र ने उन्हें 'गुरु' के रूप में याद किया और उनकी अनुपस्थिति को 'अपूरणीय क्षति' बताया। पूजा शुक्ला ने भावुक होकर कहा, "मैडम ने ही मुझे हिन्दी साहित्य से जोड़ा।" राज्यवर्धन जी ने उनके संघर्षशील जीवन का उल्लेख किया। सुमिता ने रवीन्द्र संगीत प्रस्तुत कर उन्हें संगीतमय श्रद्धांजलि दी। उनकी पुत्रवधू मधुरा पांडेय ने भावुक होते हुए कहा, "वे मेरी सास नहीं, मेरी सखी थीं। उनके भीतर गहरी जिजीविषा थी।" उत्तम ठाकुर, विशाल, आकाश और महेश जायसवाल ने उनके प्रेरणादायक व्यक्तित्व की चर्चा की। रामनिवास द्विवेदी ने उन्हें 'गुरु मां' की उपाधि देते हुए उनके राजनीतिक विवेक की सराहना की। सत्यप्रकाश तिवारी ने कहा, "उनके जाने से हमारी बौद्धिक क्षति हुई है।" सुरेश जी ने उनके साथ के पारिवारिक संबंधों को याद किया। गीता दूबे ने उनके उदार व्यक्तित्व को नमन किया। प्रो. शंभुनाथ ने चंद्रकला पांडेय के बहुआयामी व्यक्तित्व, शिक्षक, कवयित्री, विचारक और समाजसेवी की स्मृति में विस्तृत विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का संयोजन और संचालन प्रो. संजय जायसवाल ने कुशलता से किया।
इस अवसर पर मृत्युंजय श्रीवास्तव, अनीता राय, पद्माकर व्यास, सपना खरवार, अजय पोद्दार, प्रभात मिश्रा, चित्रा माली, सुशील पांडेय, असित पांडे, अजय सिंह, मनोज मिश्र, कुसुम भगत, नैना प्रसाद, अपराजिता बाल्मीकि, अनिल साह, प्रतिभा साव सहित बड़ी संख्या में उनके विद्यार्थी, प्रशंसक और शुभचिंतक उपस्थित थे।
कार्यक्रम पूरे समय एक भावुक, विचारशील और प्रेरणात्मक वातावरण में सम्पन्न हुआ, जो प्रो. चंद्रकला पांडेय के योगदानों को श्रद्धांजलि देने हेतु समर्पित था।
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