भोपाल: महिला DSP पर दोस्त के घर से 2 लाख की चोरी का आरोप - सीसीटीवी में कैद

मध्य प्रदेश पुलिस विभाग की साख पर बड़ा सवाल, DSP कल्पना रघुवंशी पर अपनी दोस्त के घर से नकदी व मोबाइल चोरी करने का आरोप, घरेलू सीसीटीवी फुटेज ने खोल दी पोल। FIR दर्ज, आरोपी फरार।

Oct 30, 2025 - 10:07
Nov 1, 2025 - 21:12
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भोपाल: महिला DSP पर दोस्त के घर से 2 लाख की चोरी का आरोप - सीसीटीवी में कैद
DSP कल्पना रघुवंशी

भोपाल (मध्य प्रदेश) राजधानी के जहाँगीराबाद क्षेत्र में तैनात महिला उपनिरीक्षक (DSP) कल्पना रघुवंशी पर अपनी दोस्त के घर से 2 लाख रुपये नकद व एक मोबाइल फोन चोरी करने का आरोप लगाया गया है। घटना की जांच में सामने आया कि घर में स्थापित सीसीटीवी कैमरे में आरोपी अधिकारी चोरी करती हुई थीं। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन आरोपी अधिकारी अभी फरार हैं। इस मामले ने पुलिस विभाग की विश्वसनीयता व जवाबदेही पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।

घटना का वर्णन

मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का है, जहाँ जहाँगीराबाद थाना क्षेत्रों के एक घर में जब शिकायतकर्ता महिला नहाने गयी थीं तो उन्होंने देखा कि उनका 2 लाख रुपये का बैग व मोबाइल गायब था।

शिकायतकर्ता ने बाद में अपने घर की सीसीटीवी फुटेज चेक की, जिसमें उसके दोस्त व पुलिस अधिकारी कल्पना रघुवंशी उस घर में प्रवेश व नकदी लेकर निकलते दिखाई दीं।

पुलिस ने वीडियो के आधार पर मामला दर्ज किया है। आरोपी अधिकारी ने मोबाइल फोन बरामद होने पर नकदी वापस नहीं की है और वर्तमान में फरार बताई जा रही हैं।

विभागीय और सामाजिक पहलू

यह घटना उस समय सामने आई है जब सरकार व पुलिस विभाग जवाबदेही व नैतिकता की चुनौतियों से जूझ रहे हैं। एक जो अधिकारी कानून लागू करने का दावा करें, उसी पर चोरी का आरोप होना विषम प्रतीत होता है।

सीसीटीवी फुटेज जैसे डिजिटल साक्ष्य ने इस मामले को सार्वजनिक विश्वास के लिए और भी महत्वपूर्ण बना दिया है, यह दर्शाता है कि रखरखाव व निगरानी की कमी से किस तरह विभागीय भरोसा टूट सकता है।

विभाग ने अभी तक आरोपी के खिलाफ निलंबन या दिशा-निर्देशों की खुली घोषणा नहीं की है, जिससे ‘वर्दी वाले भी कानून के ऊपर’ जैसी छवि बन रही है।

कानूनी प्रक्रिया और आगे की राह

पुलिस ने चोरी व FIR दर्ज की है, व फरार अधिकारी की तलाश जारी है। विभाग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की बात कही है।

इस घटना के बाद यह देखा जाना होगा कि विभागीय आंतरिक जांच कितनी पारदर्शी होगी, विशेषकर उस अधिकारी की तैनाती, पिछले रिकॉर्ड व वित्तीय व्यवहार की समीक्षा कितनी की जाएगी।

समाज-मीडिया व नागरिक जागरूकता के दृष्टिकोण से यह मामला संकेत देता है कि पुलिस-वर्दी की साख (credibility) अब सिर्फ बाहरी अपराधियों पर निर्भर नहीं, बल्कि आंतरिक स्वच्छता पर भी टिकी है।

यह मामला सिर्फ एक चोरी का मामला नहीं, बल्कि यह ‘जब वर्दी वाला ही भरोसा तोड़े’ की छवि को सामने ला रहा है। ऐसे समय में जब पुलिस-प्रभाग सार्वजनिक सुरक्षा व विश्वास का मूलाधार है, ऐसे आरोप न सिर्फ विभागीय बल्कि सामाजिक स्तर पर चिंता का विषय बन जाते हैं। जनता-वर्दी के बीच उस कड़वाहटी को महसूस कर रही है जो भरोसे की कमी से उत्पन्न होती है। अब यह देखना होगा कि विभाग इस आरोप-प्रक्रिया में कितनी त्वरित, निष्पक्ष और प्रभावी कार्रवाई करता है, क्योंकि यदि वर्दी और कानून व्यवस्था में ही भरोसा नहीं रहा, तो नागरिक-विश्वास पर गहरा धक्का लगेगा।

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