RTI में 1 साल 9 महीने की देरी: ADM प्रयागराज पर भ्रामक और अपूर्ण सूचना देने के गंभीर आरोप

RTI आवेदक ने ADM कार्यालय पर नियम उल्लंघन, अप्रमाणित प्रति, ईमेल छिपाने और DoPT गाइडलाइन के उल्लंघन का आरोप लगाया है। मामला राज्य सूचना आयोग में सूचीबद्ध है।

Nov 27, 2025 - 07:26
Nov 26, 2025 - 21:42
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RTI में 1 साल 9 महीने की देरी: ADM प्रयागराज पर भ्रामक और अपूर्ण सूचना देने के गंभीर आरोप
उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राकेश कुमार

आवेदक ने उत्तर प्रदेश शासन के आदेशों, RTI अधिनियम 2005 की धाराओं तथा केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की गाइडलाइन के व्यापक उल्लंघन का आरोप लगाया; आयोग से धारा 20 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की माँग।

प्रयागराज प्रशासन और सूचना अधिकार कानून की विश्वसनीयता पर सवाल

प्रयागराज जिले में एक गंभीर RTI विवाद ने जिला प्रशासन की कार्य प्रणाली और उत्तरदायित्व पर गहरे प्रश्न चिह्न लगा दिए हैं। आवेदक रवि शंकर ने अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) प्रयागराज के विरुद्ध राज्य सूचना आयोग, उत्तर प्रदेश में एक विस्तृत लिखित अभिकथन प्रस्तुत किया है, जिसमें RTI अधिनियम 2005 के कई प्रावधानों के व्यवस्थित और बार-बार उल्लंघन का आरोप है।

RTI आवेदन 1 साल 9 महीने तक लंबित – तय समय सीमा की स्पष्ट अवहेलना

RTI आवेदन DMOPR/R/2023/60226, दिनांक 09 सितंबर 2023, ADM कार्यालय के पास भेजा गया था।

RTI अधिनियम 2005 की धारा 7(1) के अनुसार, किसी भी RTI आवेदन का निस्तारण 30 दिनों के भीतर किया जाना आवश्यक है।

परंतु -

  • 30 दिन की सीमा पार
  • 6 महीने पार
  • 1 वर्ष पार
  • 1 वर्ष 9 महीने पूर्ण

फिर भी सूचना प्रदान नहीं की गई।

प्रथम अपील भी लंबित, बिना आदेश के छोड़ दी गई

आवेदक ने प्रथम अपील DMOPR/A/2023/60112 दिनांक 17 अक्तूबर 2024 दायर की।
RTI अधिनियम के अनुसार, FAA को 45 दिनों के भीतर लिखित आदेश देना अनिवार्य है।

लेकिन प्रथम अपीलीय अधिकारी (FAA) ने -

  • न तो कोई आदेश पारित किया,
  • न कोई सुनवाई की,
  • न ही कोई कारण बताया।

यह स्थिति स्वयं में अधिनियम 2005 का घोर उल्लंघन है।

ADM कार्यालय द्वारा भ्रामक एवं अपूर्ण उत्तर भेजने का आरोप

आवेदक का आरोप है कि आयोग की कार्यवाही लंबित होने पर ADM कार्यालय ने पत्रांक 1787 दिनांक 21 जून 2025 के रूप में ऐसा उत्तर भेजा जो-

  • अपूर्ण,
  • तथ्यहीन,
  • भ्रामक,
  • कानून विरुद्ध,
  • और आयोग को भ्रमित करने हेतु तैयार किया गया।

आवेदक ने पूछा है कि यह उत्तर किस कानून/नियम/शासनादेश के अंतर्गत जारी किया गया।

DoPT की 2015 की गाइडलाइन का उल्लंघन

भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने वर्ष 2015 में सभी राज्यों के PIO/CPIO के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए थे - पत्र संख्या: 10/1/2013-IR दिनांक 06/10/2015

इसमें स्पष्ट कहा गया है कि:

  • जनसूचना अधिकारी (PIO) का पूरा नाम
  • पदनाम
  • मोबाइल नंबर
  • ईमेल आईडी
  • प्रथम अपीलीय अधिकारी (FAA) का पूरा विवरण

RTI उत्तर में अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए।

परंतु - ADM कार्यालय ने अपने पत्र में इन अनिवार्य विवरणों का एक भी बिंदु शामिल नहीं किया, जो RTI नियमों की सख्त अवहेलना है।

प्रमाणित प्रतियों (Certified Copies) का अभाव

RTI अधिनियम के नियमों में यह स्पष्ट है कि—

  • सूचना हमेशा
    • प्रमाणित (Certified)
    • हस्ताक्षरित
    • दिनांक सहित

प्रेषित होनी चाहिए।

परन्तु ADM कार्यालय द्वारा भेजी गई प्रति अनप्रमाणित, अपूर्ण और बिना सत्यापन की थी।

यह RTI नियमों की सीधी अवमानना है।

सबसे गंभीर आरोप: ईमेल erase होने की झूठी कहानी?

ADM कार्यालय के पत्रांक 1785 दिनांक 21 जून 2025 में एक बिंदु पर लिखा गया:

“NIC प्रयागराज के माध्यम से अपडेशन के कारण उक्त वर्ष के ईमेल erase हो गए।”

परंतु आवेदक ने इस दावे को झूठा और कूटरचित बताते हुए NIC प्रयागराज का अधिकृत पत्र प्रस्तुत किया है-

  • पत्रांक 551 दिनांक 21 जुलाई 2025
  • इसमें स्पष्ट लिखा है कि NIC प्रयागराज ने कोई भी अपडेशन कार्य नहीं किया।
  • अतः ADM कार्यालय का दावा तथ्यहीन है।

यह मामला सीधे-सीधे साक्ष्य के साथ झूठी सूचना देने की श्रेणी में आ रहा है।

आयोग में 25 सितंबर को सुनवाई – धारा 20 के तहत दंड की माँग

आवेदक ने राज्य सूचना आयुक्त (सुनवाई कक्ष 10) से आग्रह किया है कि:

यदि ADM कार्यालय 23 सितंबर 2025 तक -

  • अपना लिखित पक्ष,
  • साक्ष्य,
  • तथा बिंदुवार उत्तर

प्रस्तुत नहीं करता, तो उन्हें दोषी माना जाए।

आवेदक ने कार्रवाई के लिए निम्न धाराएँ लागू करने का आग्रह किया है -

धारा 18(1)(ग)

समय सीमा में सूचना न देना

धारा 18(1)(ङ)

अपूर्ण, भ्रामक एवं तथ्यहीन सूचना देना

धारा 20(1)

₹25,000 तक का दंड

धारा 20(2)

अनुशासनात्मक कार्रवाई

यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है? (Legal and Public Interest Analysis)

यह 1 RTI का मामला नहीं, यह पूरे शासन-तंत्र की पारदर्शिता से जुड़ा है

1 साल 9 महीने की देरी सरकारी जवाबदेही पर गंभीर सवाल

DoPT की गाइडलाइन, राज्य शासन आदेश और RTI अधिनियम सभी का उल्लंघन

NIC के आधिकारिक बयान को झुठलाने का प्रयास यह अत्यंत गंभीर है

आयोग के समक्ष व्यापक भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप

यह केस प्रशासनिक जवाबदेही, सूचना अधिकार और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I