भारतीय भाषा परिषद को बिहार सरकार का सम्मान : स्वर्ण जयंती वर्ष में श्रेष्ठ साहित्यिक संस्था का गौरव

बिहार सरकार ने भारतीय भाषा परिषद को हिंदीतर प्रदेशों की श्रेष्ठ साहित्यिक संस्था के रूप में सम्मानित किया। स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठियाँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और ‘वागर्थ’ पत्रिका ने परिषद को देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई है।

Aug 24, 2025 - 10:51
Aug 24, 2025 - 11:02
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भारतीय भाषा परिषद को बिहार सरकार का सम्मान : स्वर्ण जयंती वर्ष में श्रेष्ठ साहित्यिक संस्था का गौरव
बिहार के मुख्यमंत्री से भारतीय भाषा परिषद की ओर से पुरस्कार ग्रहण करते हुए घनश्याम सुगला

कोलकाता/पटना, 23 अगस्त। भारतीय भाषा परिषद ने अपनी स्वर्ण जयंती वर्षगांठ पर एक और उपलब्धि हासिल की है। बिहार सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने परिषद को हिंदीतर प्रदेशों की श्रेष्ठ साहित्यिक संस्थाके रूप में सम्मानित किया।

पटना में आयोजित भव्य समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने परिषद के प्रतिनिधि घनश्याम सुगला को विद्याकर कवि पुरस्कार प्रदान किया। इस अवसर पर उन्हें अंगवस्त्र, प्रशस्ति-पत्र और एक लाख रुपये की सम्मान राशि भी भेंट की गई।

प्रशस्ति-पत्र में परिषद की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा गया कि 1975 में कोलकाता में स्थापित भारतीय भाषा परिषद राष्ट्रीय अखंडता, बहुलतावादी संस्कृति और भारतीय भाषाओं की सृजनशीलता को बढ़ावा देने वाली एक प्रमुख संस्था है।

स्वर्ण जयंती वर्ष की उपलब्धियाँ

स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में परिषद ने साहित्य और संस्कृति के विविध आयामों को समर्पित कई उल्लेखनीय कार्यक्रम आयोजित किए हैं -

 आठ भारतीय भाषाओं के लेखकों का सम्मान

 राष्ट्रीय संगोष्ठियाँ

 शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम

 संस्कृत शिक्षण कार्यशालाएँ

 साहित्य संवाद, सांझी बैठकें, नाट्य एवं कविता पाठ

आगामी 6 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर पश्चिम बंगाल के श्रेष्ठ 20 शिक्षकों का सम्मान

इसके अतिरिक्त, परिषद द्वारा प्रकाशित साहित्यिक मासिक वागर्थने देश की शीर्ष पत्रिकाओं में स्थान बनाया है। इसके वार्षिक सदस्यों की संख्या एक हजार से अधिक हो चुकी है।

परिषद की प्रतिक्रिया

परिषद की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी ने बिहार सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा : यह सम्मान केवल परिषद का नहीं, बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल के हिंदी साहित्य संसार का सम्मान है। परिषद हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्यिक क्षितिज का विस्तार करती रहेगी।उन्होंने 50 वर्षों की सार्थक यात्रा में सहयोग देने वाले सभी ट्रस्टीगण, पदाधिकारियों, कार्यकारिणी सदस्यों और शुभचिंतकों को विशेष धन्यवाद भी दिया।

 

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I