चिंता से मुक्ति का गीत | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’

‘चिंता से मुक्ति का गीत’ सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की एक प्रेरक हिंदी कविता जो बताती है कि चिंता समाधान नहीं, बल्कि ऊर्जा का ह्रास है। जानिए कैसे वर्तमान में जीकर, संगीत, पुस्तकों और सृजन में मन लगाकर शांति पाई जा सकती है।

Nov 17, 2025 - 08:02
Nov 2, 2025 - 08:13
 0
चिंता से मुक्ति का गीत | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’ की कविता’
चिंता से मुक्ति का गीत | हिंदी कविता | सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

चिंता से मुक्ति का गीत

 

चिंता एक धुआँ है,

जो मन की खिड़कियों को ढक देता है।

वह हमें यकीन दिलाती है,

कि सोचना ही हल है,

पर असल में सोच-सोचकर

हम अपनी ही ताक़त खो देते हैं।

 

सोचिए!

अगर हल हमारे हाथ में है,

तो चिंता की क्या ज़रूरत?

और अगर हल हमारे हाथ में नहीं,

तो चिंता से क्या फ़ायदा?

 

चिंता, चिता से भी गहरी,

शरीर को नहीं,

आत्मा को जलाती है।

यह मुस्कान चुरा लेती है,

नींद हर लेती है,

और जीवन को अधूरा बना देती है।

 

पर मुक्ति का द्वार भी है,

वर्तमान की साँसों में,

गहरी शांति के क्षणों में,

जहाँ हम अपने भीतर उतरते हैं

और मन स्थिर हो जाता है।

 

व्यस्त रहो,

पुस्तकों में,

संगीत में,

नई राहों,

नए हुनरों में।

क्योंकि खालीपन ही

चिंता का बीज बोता है।

 

सुशील कुमार पाण्डेय ‘निर्वाक’

संपर्क: 25-26, रोज मेरी लेन, हावड़ा - 711101,

मो.: 88 20 40 60 80 / 9681 10 50 70

ई-मेल : aapkasusheel@gmail.com

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I