माइक्रोसॉफ्ट में फिर बड़ा ले-ऑफ: 9000 कर्मचारियों की जाएगी नौकरी, एआई और ऑटोमेशन बना वजह
माइक्रोसॉफ्ट ने जुलाई 2025 में एक और बड़े ले-ऑफ का ऐलान किया है, जिसमें 9000 कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी। एआई, ऑटोमेशन और कोडिंग असिस्टेंट्स की बढ़ती उपयोगिता के चलते कंपनी अपने संगठनात्मक ढाँचे को पुनर्संयोजित कर रही है। यह छंटनी टेक इंडस्ट्री में गहराते बदलावों और प्रतिस्पर्धा के दबाव की झलक देती है।

Microsoft Layoffs 2025: दुनिया की शीर्ष टेक कंपनियों में शुमार माइक्रोसॉफ्ट एक बार फिर मास ले-ऑफ की राह पर चल पड़ी है। कंपनी ने पुष्टि की है कि वह आगामी चरण में 9000 कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है। यह छंटनी विभिन्न विभागों और पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को प्रभावित करेगी। इससे पहले भी माइक्रोसॉफ्ट ने जनवरी, मई और जून 2025 में चरणबद्ध ढंग से हजारों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था।
कंपनी की रणनीति में बदलाव
CNBC की रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता ने कहा है कि यह निर्णय कंपनी को बदलते वैश्विक बाजार की चुनौतियों के अनुरूप बेहतर ढंग से तैयार करने की रणनीति का हिस्सा है। इस छंटनी को 'संगठनात्मक पुनर्गठन' का नाम दिया गया है, जहाँ प्रदर्शन और भविष्य की जरूरतों के आधार पर कर्मियों की समीक्षा की जा रही है।
पहले भी हो चुके हैं बड़े पैमाने पर ले-ऑफ:
जनवरी 2025: कुल स्टाफ के 1% कर्मचारियों की छंटनी
मई 2025: 6000 कर्मचारियों की छंटनी
जून 2025: 300 कर्मचारियों को निकाला गया
2023: लगभग 10,000 लोगों की छंटनी
2014: अब तक का सबसे बड़ा ले-ऑफ - 18,000 कर्मचारियों की नौकरी गई थी
आखिर क्यों हो रही हैं बार-बार छंटनियाँ?
हालाँकि, माइक्रोसॉफ्ट ने इस बार छंटनी के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है, लेकिन टेक इंडस्ट्री से जुड़े जानकार मानते हैं कि कोडिंग असिस्टेंट्स, ऑटोमेशन और एआई (AI) की बढ़ती भूमिका इसका मुख्य कारण है।
जहाँ पहले कोडर्स की जरूरत अधिक थी, अब AI टूल्स स्वयं कोडिंग में सक्षम हो रहे हैं, जिससे कर्मचारियों की उपयोगिता कम हो रही है। इसके अलावा गूगल, ओपनएआई जैसे प्रतिस्पर्धी ब्रांडों से मिलने वाली चुनौती भी माइक्रोसॉफ्ट को रणनीति बदलने को विवश कर रही है।
विशेषज्ञों की राय:
तकनीकी दुनिया में तेजी से हो रहे बदलाव और ऑटोमेशन के बढ़ते प्रभाव के कारण कंपनियां अपने संसाधनों का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं। कम लागत, उच्च दक्षता और तेज आउटपुट को प्राथमिकता देने वाली इस दौड़ में पारंपरिक कोडर्स के लिए चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं।
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