रूस-यूक्रेन युद्ध: नौकरी के नाम पर रूस भेजे गए 126 भारतीय जबरन सेना में भर्ती, 12 की मौत, 16 लापता
रूस-यूक्रेन युद्ध में 126 भारतीय नागरिकों को नौकरी का झांसा देकर रूस भेजा गया और जबरन रूसी सेना में भर्ती कर युद्ध में उतार दिया गया। अब तक 12 भारतीयों की मौत, 16 लापता और 96 की वापसी हो चुकी है। भारत सरकार ने रूस से शेष नागरिकों की सुरक्षित वापसी और एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान दर्जनों भारतीय नागरिकों को नौकरी का झांसा देकर रूस भेजा गया, जहां उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती कर युद्ध में झोंक दिया गया। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय जांच रिपोर्टों के अनुसार, 2025 की शुरुआत तक 126 भारतीय नागरिकों को ऐसे जाल में फंसाया गया। इन युवाओं को 'आर्मी सिक्योरिटी हेल्पर' या 'सिक्योरिटी गार्ड' की अच्छी सैलरी का वादा किया गया था, लेकिन रूस पहुंचने पर उन्हें सेना में भर्ती कर लिया गया और युद्ध क्षेत्र में भेजा गया।
पीड़ितों के अनुसार, इंकार करने पर जेल की धमकी दी गई, दस्तावेज़ जब्त कर लिए गए और कई को बिना प्रशिक्षण के युद्ध में उतार दिया गया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, अब तक 12 भारतीयों की मौत हो चुकी है और 16 लापता हैं। 96 भारतीयों को रूस की सेना से छुट्टी दिलाई जा चुकी है, जबकि 18 अभी भी वहां फंसे हैं। यह मामला पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के युवाओं से जुड़ा है।
भारत सरकार ने मॉस्को और नई दिल्ली में रूसी अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया है और फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी और दोषी एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल और संयुक्त राष्ट्र ने रूस की इस जबरन भर्ती को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया है।
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