हिंदी के शताब्दीपुरुष प्रो. रामदरश मिश्र का निधन | साहित्य जगत में शोक

31 अक्तूबर 2025 को पद्मश्री प्रो. रामदरश मिश्र अपनी शताब्दी यात्रा पूर्ण कर अनंत यात्रा पर चले गए। मुक्तांचल पत्रिका परिवार और साहित्य जगत ने उन्हें गहन श्रद्धांजलि अर्पित की।

Oct 31, 2025 - 23:08
Oct 31, 2025 - 23:16
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हिंदी के शताब्दीपुरुष प्रो. रामदरश मिश्र का निधन | साहित्य जगत में शोक
शताब्दीपुरुष प्रो. रामदरश मिश्र का निधन

हिंदी के शताब्दीपुरुष प्रो. रामदरश मिश्र का निधन, सृजन की अनंत यात्रा पर निकले शब्द-योगी

दिल्ली : 15 अगस्त 1924 को जन्मे हिंदी के वरिष्ठतम साहित्यकार पद्मश्री प्रो. रामदरश मिश्र ने 31 अक्तूबर 2025 को अपनी शताब्दी यात्रा पूर्ण करते हुए इस जगत से विदा ली। कथा, कविता, संस्मरण, उपन्यास, आलोचना और आत्मकथा, सभी विधाओं में उनकी सृजनधारा हिंदी साहित्य की एक युगप्रवर्तक परंपरा रही है।

उनकी अंतिम विदाई 1 नवंबर 2025 को द्वारका स्थित निवास से प्रातः 10 बजे और मंगला पुरी (पालम) श्मशान घाट पर 11 बजे संपन्न होगी।

हिंदी साहित्य जगत ने एक युगपुरुष खो दिया है। पद्मश्री प्रो. रामदरश मिश्र, जिनकी लेखनी ने सात दशकों से अधिक समय तक भारतीय जीवन, गाँव, मिट्टी, मनुष्य और मानवीय संवेदना को शब्द दिए, 31 अक्तूबर 2025 को अपनी शताब्दी यात्रा पूर्ण कर अनंत यात्रा पर निकल गए।

15 अगस्त 1924 को गोरखपुर जिले के डुमरी गाँव में जन्मे रामदरश मिश्र हिंदी साहित्य के उस दौर के प्रतिनिधि रहे, जिसने स्वतंत्रता के बाद के भारत को भाषा, विचार और संस्कृति के नए आयाम दिए। उनकी रचनाओं में गाँव की गंध, जन-जीवन की लय और यथार्थ का सौंदर्य गहराई से विद्यमान रहा। कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, संस्मरण और आत्मकथात्मक लेखन में उन्होंने जो सृजन किया, वह हिंदी जगत की अमूल्य धरोहर है।

प्रो. मिश्र के साहित्यिक जीवन की पहचान रही, संवेदना की सादगी और विचार की गहराई।

उनकी आत्मकथा ‘सहज उपलब्ध’ से लेकर ‘कंधों से कंधे टकराते’ तक, और कहानी-संग्रह ‘जल टूटता हुआ’ से लेकर कविता-संग्रह ‘आकाश का साक्षी’ तक, हर रचना में उन्होंने जीवन की सच्चाइयों को जिया और लिखा। उनके निधन पर साहित्य जगत में गहरा शोक व्याप्त है।

प्रख्यात कवि राजकुमार कुम्भज ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, उनका स्मरण सदैव बना रहेगा। उनसे हुई भेंट-मुलाक़ातें अविस्मरणीय हैं। उन्हें बार-बार नमन।”

मुक्तांचल पत्रिका परिवार ने भी उनके अवदान को याद करते हुए कहा, प्रो. रामदरश मिश्र हिंदी साहित्य के विराट वटवृक्ष थे। उनका सृजन हमारे समय की चेतना और लोक-संवेदना का दस्तावेज़ है। उन्हें हमारी गहनतम श्रद्धांजलि।”

शोक संतप्त परिवार में

शशांक मिश्र एवं रीता मिश्र (पुत्र-पुत्रवधु), अंजलि तिवारी एवं अश्विनी तिवारी (पुत्री-जामाता), विवेक मिश्र एवं सागरिका मिश्र (पुत्र-पुत्रवधु), माया मिश्र (पुत्रवधु) और स्मिता मिश्र (पुत्री) शामिल हैं।

उनकी अंतिम यात्रा 1 नवंबर को सुबह 10 बजे द्वारका स्थित निवास (बी-24, ब्रह्मा अपार्टमेंट, सेक्टर-7, द्वारका) से निकलेगी और मंगला पुरी (पालम) श्मशान घाट पर 11 बजे अंतिम संस्कार होगा।

हिंदी साहित्य में उनका नाम हमेशा आदर और श्रद्धा से लिया जाएगा। ओम शांति।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I