दिव्यांग पति ने मलेरिया जाँच में लापरवाही का आरोप लगाते हुए DGMH लखनऊ को 10 पन्नों का भेजा हलफनामा

मिर्जापुर निवासी जयचंद मौर्य ने दावा किया कि गलत मलेरिया रिपोर्ट और कथित निजी प्रैक्टिस के कारण उनकी पत्नी की हालत बिगड़ी। दस्तावेज़, गवाह बयान और ईमेल के साथ निष्पक्ष जाँच और हैंडराइटिंग टेस्ट की मांग की गई।

Dec 5, 2025 - 08:02
Dec 5, 2025 - 20:53
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दिव्यांग पति ने मलेरिया जाँच में लापरवाही का आरोप लगाते हुए DGMH लखनऊ को 10 पन्नों का भेजा हलफनामा
जयचंद मौर्य

निजी अस्पताल में ‘गलत मलेरिया रिपोर्ट’ और कथित निजी प्रैक्टिस का मामला; दिव्यांग युवक ने DGMH लखनऊ को 10 पन्नों का हलफनामा भेजकर निष्पक्ष जाँच की माँग की

लखनऊ/प्रयागराज/मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के निवासी जयचंद मौर्य, जो एक हाथ और एक पैर से दिव्यांग हैं, ने अपनी पत्नी के इलाज में कथित लापरवाही, गलत लैब रिपोर्ट और निजी प्रैक्टिस से जुड़े गंभीर आरोपों को लेकर महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ (DGMH), लखनऊ को 10 पन्नों का विस्तृत हलफ़नामा भेजा है।

दिव्यांगता के कारण लखनऊ उपस्थित न हो पाने पर उन्होंने सभी दस्तावेज़ हलफ़नामा, गवाहों के बयान, ईमेल प्रिंट, अस्पताल दस्तावेज़ तथा 5 पन्नों का पूर्व पत्र स्पीड पोस्ट के माध्यम से क्रमबद्ध तरीके से भेजे हैं और अधिकारियों से दस्तावेज़ों की प्राप्ति पुष्ट‍ि तथा आगे की कार्रवाई की माँग की है।

प्रकरण की पृष्ठभूमि: पत्नी की हालत बिगड़ने का गंभीर आरोप

शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत हलफ़नामे के अनुसार, उनकी पत्नी सरिता मौर्य (29 वर्ष) को 30 मई 2023 को तबियत खराब होने पर छोटेलाल बिंद अस्पताल एंड ट्रॉमा सेंटर, बरौत, हंडिया, प्रयागराज में भर्ती कराया गया था।

शिकायतकर्ता का आरोप:

अस्पताल की पैथोलॉजी ने जिस दिन महिला को भर्ती किया गया उसी दिन मलेरिया पॉजिटिव रिपोर्ट दी, जबकि:

  • भर्ती से पहले की रिपोर्ट निगेटिव थी
  • बाद में कराई गई जाँच भी निगेटिव निकली

शिकायतकर्ता का कहना है कि इसी संदिग्ध पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर उनकी पत्नी को मलेरिया की दवाएँ और इंजेक्शन लगाए गए।

डॉक्‍टर पर निजी प्रैक्टिस करते हुए इलाज का आरोप

हलफ़नामे में यह दावा किया गया है कि उस समय महिला का इलाज एक सरकारी चिकित्सक द्वारा निजी रूप से किया गया:

  • शिकायतकर्ता के अनुसार, उनका इलाज डॉ. प्रदीप कुमार यादव (फिजीशियन, जिला अस्पताल ज्ञानपुर, भदोही) ने किया।
  • दस्तावेज़ में कहा गया कि उन्होंने निजी अस्पताल में उपचार किया, जो कि सरकारी नियमों के विरुद्ध है।

शिकायतकर्ता का कहना है कि इलाज के बाद:

  • महिला की हालत अचानक गंभीर हो गई
  • उन्हें न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ हो गईं
  • आर्थिक और मानसिक रूप से परिवार टूट गया
  • चार अस्पतालों में लगातार इलाज कराना पड़ा

हैंडराइटिंग विवाद: अस्पताल द्वारा प्रस्तुत पर्ची पर सवाल

हलफ़नामे के अनुसार:

  • अस्पताल संचालक ने जाँच के दौरान कुछ पर्चियाँ और दस्तावेज़ प्रस्तुत किए
  • शिकायतकर्ता का दावा है कि इन पर्चियों की हैंडराइटिंग वास्तविक पर्चियों से मेल नहीं खाती

उनके द्वारा जमा की गई दो पर्चियाँ:

1.     सरिता मौर्य की पर्ची

2.     अभयराज विश्वकर्मा की पर्ची

शिकायतकर्ता का कहना है कि इन दोनों वास्तविक पर्चियों पर:

  • संबंधित चिकित्सक का नाम लिखा है
  • दवाएँ लिखी गई हैं
  • और हैंडराइटिंग अस्पताल द्वारा बाद में प्रस्तुत पर्चियों से भिन्न है

इसलिए उन्होंने अधिकृत हैंडराइटिंग विशेषज्ञ से परीक्षण कराने की माँग की है।

जाँच प्रक्रिया पर सवाल: “साक्ष्यों की अनदेखी हुई”

शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि:

  • दो प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के लिखित बयान प्रस्तुत किए गए
  • तीन अलग-अलग मलेरिया रिपोर्टें (पहली एवं बाद की निगेटिव, बीच की पॉजिटिव) दाखिल की गईं
  • इलाज संबंधी पर्चियाँ और अन्य मेडिकल दस्तावेज़ जमा किए गए

लेकिन जाँच अधिकारियों ने इन महत्त्वपूर्ण साक्ष्यों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया और जाँच एकपक्षीय रही।

स्वास्थ्य अधिकारियों पर अभद्रता का आरोप

शिकायत में कहा गया कि:

  • शिकायतकर्ता जब प्रयागराज में जाँच के लिए पहुंचे तो
  • जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी, प्रयागराज ने
  • अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मौजूदगी में उनके साथ गाली-गलौज की

इसकी प्रमाण सहित शिकायत प्रस्तुत की गई है।

शासनादेशों और स्वास्थ्य मंत्री के वक्तव्य का हवाला

हलफ़नामे में शिकायतकर्ता ने उल्लेख किया है कि:

  • 31.01.2024 एवं 17.02.2025 के शासनादेशों तथा
  • उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री ब्रजेश पाठक के सार्वजनिक वक्तव्य

में यह स्वीकार किया गया है कि संबंधित चिकित्सक निजी प्रैक्टिस करते हुए पाए गए और उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की गई

हलफ़नामे का शपथ-पत्र: “सभी तथ्य सत्य हैं, असत्य होने पर दंडनीय हूँ”

शिकायतकर्ता ने अपने हलफ़नामे में शपथपूर्वक कहा है:

उपर्युक्त सभी तथ्य मेरे स्वयं के अनुभव और दस्तावेज़ों पर आधारित हैं। यदि कोई तथ्य असत्य सिद्ध हो, तो मैं स्वयं दंड के लिए उत्तरदायी रहूँगा।”

DGMH लखनऊ से अनुरोध

शिकायतकर्ता ने महानिदेशक से आग्रह किया है कि:

1.     मूल दस्तावेज़ों की प्राप्ति रसीद/पुष्टि जारी की जाए

2.     निष्पक्ष जाँच के लिए

o    हैंडराइटिंग विशेषज्ञ से जाँच कराई जाए

o    उनके बयान को वीडियो कॉन्फ्रेंस/ईमेल/डाक के माध्यम से रिकॉर्ड किया जाए

3.     पूरे प्रकरण की निगरानी उच्च स्तर से की जाए

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