क्या वाकई हुआ था ‘ऑपरेशन कालसर्प’? Lt Cdr अभिषेक चक्रवर्ती की वायरल कहानी की पड़ताल
दक्षिणेश्वर के MARCOS कमांडो Lt Cdr अभिषेक चक्रवर्ती और ‘ऑपरेशन कालसर्प’ की वायरल कहानी आधिकारिक रिकॉर्ड, स्रोतों और तकनीकी तथ्यों की गहरी पड़ताल।
सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से एक भावनात्मक कहानी तेज़ी से घूम रही है, कोलकाता के दक्षिणेश्वर के ‘माकॉस’ कमांडो Lt Cdr अभिषेक चक्रवर्ती, जिन्होंने 2016 में पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के भीतर घुसकर ‘ऑपरेशन कालसर्प’ में दुश्मन की पनडुब्बी बेस तबाह की, 12 किमी तैरकर लौटे और शहीद हो गए, और जिनको 2025 में नेवी डे पर प्रधानमंत्री ने वीर चक्र दिया।
हमने दावे में बताए गए सभी ‘स्रोतों’ और आधिकारिक रेकॉर्ड्स की गहराई से जाँच की। नतीजा:
- इस कहानी की पुष्टि करने वाला कोई स्वतंत्र आधिकारिक या मुख्यधारा मीडिया स्रोत अब तक नहीं मिला।
- सरकार/रक्षा मंत्रालय/भारतीय नौसेना या मान्य आर्काइव जैसे भारत रक्षक में Lt Cdr Abhishek Chakraborty नाम के किसी वीर चक्र विजेता का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
- कहानी के आँकड़ों व समय-रेखा में काफी गंभीर तथ्यगत व भौतिक (physical) असंगतियाँ हैं।
फिलहाल उपलब्ध तथ्यों के आधार पर यह कहानी प्रेरक किंतु अप्रमाणित/संभावित रूप से काल्पनिक प्रतीत होती है।
वायरल कहानी क्या कहती है?
फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और लिंक्डइन पर एक ही टेक्स्ट कॉपी-पेस्ट होते हुए दिख रहा है, हल्के-फुल्के बदलावों कभी ‘Operation Kalsarp’, कभी ‘Operation Black Cobra’ के साथ। कहानी में मुख्य दावे ये हैं:
1. अभिषेक चक्रवर्ती, जन्म 19 अक्तूबर 1987, दक्षिणेश्वर, कोलकाता।
2. 2006 में NDA पास करते ही सीधे MARCOS (Navy Special Forces) में चले गए, फिर 2013 में RAW के Maritime Wing में।
3. फरवरी 2016 में उन्हें भारत के इतिहास का ‘सबसे गुप्त समुद्री मिशन’ मिला ‘ऑपरेशन कालसर्प’
o लक्ष्य: भारतीय न्यूक्लियर पनडुब्बी INS Chakra से निकलकर पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के अंदर चीन–पाक संयुक्त नौसैनिक बेस की underwater sensors और minefield नष्ट करना।
4. चार सदस्यीय टीम सभी allegedly बंगाली 12 किमी तैरकर ग्वादर के नीचे पहुँची, जबकि उनके पास कुल 48 मिनट की ऑक्सीजन थी और वे 46 मिनट में पहुँच गए।
5. अभिषेक ने अकेले दुश्मन के sensors काटे और चार माइंस लगा दीं। वापस लौटते समय पाकिस्तानी sonar ने उन्हें पकड़ लिया, तीन साथी शहीद, अभिषेक अकेले बचे और ऑक्सीजन ख़त्म होने के बाद भी 12 किमी तैरते रहे।
6. आख़िरी 2 किमी पर शरीर जवाब दे गया, वे समुद्र की तली पर बैठ गए, हेल्मेट कैमरे में दिखा कि उन्होंने माँ काली की मुद्रा में हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया और मुस्कराए।
7. 48 घंटे बाद INS Chakra ने उनका शव निकाला, कोई बाहरी चोट नहीं, हाथ में साथियों के डॉग-टैग और छोटी काली की मूर्ति।
8. 28 फरवरी 2016 को उनकी मृत्यु; 2025 में नेवी डे पर प्रधानमंत्री ने खुद उनकी माँ को वीर चक्र दिया, और अब ‘ऑपरेशन कालसर्प’ डिक्लासिफाइड हो गया।
कहानी के अंत में अकसर यही चार ‘स्रोत’ दिए जाते हैं:
1. The Hindu (2025) – “The Marcos who swam into Gwadar and never returned”
2. Anandabazar Patrika – “Abhishek: The one who swam 12 km to Gwadar”
3. Indian Navy Official Release 2025
4. Bharat Rakshak – “Vir Chakra: Lt Cdr Abhishek Chakraborty”
यही हिस्सा पूरी कहानी को ‘तथ्य-जैसा’ रूप देता है, क्योंकि बड़े अखबारों और आधिकारिक रिलीज का नाम लिया गया है।
बताए गए ‘स्रोत’ जाँच में क्या मिला?
(क) The Hindu और Anandabazar Patrika
- दिए गए दोनों शीर्षक (The Hindu वाला “The Marcos who swam into Gwadar and never returned” और आनंदबाज़ार वाला बंगाली शीर्षक) को exact search करने पर केवल सोशल मीडिया पोस्ट और छोटे ब्लॉग मिलते हैं, जहाँ ये कहानी पहले से छपी है; मुख्यधारा अखबार की साइट पर ये शीर्षक स्वतंत्र रूप से नजर नहीं आते।
- The Hindu की साइट को टूल-स्तर पर सीधे खोलने में robots.txt की तकनीकी बाधा है, लेकिन खुले वेब पर इन सटीक हेडलाइनों के कोई आधिकारिक cached/archived संस्करण दिख नहीं रहे, जबकि ऐसे धमाकेदार स्टोरी की व्यापक री-पब्लिशिंग स्वाभाविक होती।
(ख) ‘Indian Navy Official Release 2025’
- 2025 के Navy Day के आसपास प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), राष्ट्रपति भवन, और सूचना व प्रसारण/PIB की आधिकारिक रिलीज़ में कहीं भी Lt Cdr Abhishek Chakraborty या Operation Kalsarp का ज़िक्र नहीं मिलता।
- Navy Day 2025 की explainers और background stories मुख्य रूप से 1971 के Operation Trident और पुराने नायकों पर केंद्रित हैं, न कि किसी हाल में डिक्लासिफ़ाई हुए गोपनीय मिशन पर।
अगर वाकई प्रधानमंत्री ने Navy Day के राष्ट्रीय समारोह में किसी नौसैनिक को (या उसके परिजनों को) वीर चक्र दिया होता, तो यह रक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति/राष्ट्रपति भवन, PMO, और बड़े मीडिया–चैनलों पर ज़रूर दर्ज होता, जैसा कि 2019 Balakot के बाद ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान को वीर चक्र देने के समय हुआ था।
(ग) भारत रक्षक पर वीर चक्र एंट्री
- भारत रक्षक एक पुराना, डिटेल्ड अनौपचारिक आर्काइव है, जहाँ नौसेना सहित अनेक युद्ध-वीरों और gallantry awards का रिकॉर्ड है।
- हमारे सर्च में वहाँ ‘Lt Cdr Abhishek Chakraborty’ नाम के किसी Vir Chakra awardee की प्रोफ़ाइल या citation का कोई सार्वजनिक रिकॉर्ड नहीं मिला।
नतीजा
कहानी जिन चार ‘स्रोतों’ का हवाला दे रही है, वे अभी तक कहीं भी स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं हो पा रहे। जो भी साइटें या पोस्ट इन्हें कोट कर रही हैं, वे सभी इसी वायरल टेक्स्ट को दोहरा रही हैं, न कि मूल रिपोर्ट की स्कैन/लिंक दे रही हैं।
आधिकारिक रिकॉर्ड और Navy Day 2025
- Navy Day 2025 पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के संदेशों में नौसेना के इतिहास, 1971 के युद्ध, आत्मनिर्भरता और INS Vikrant इत्यादि का उल्लेख है; किसी नए वीर चक्र या “ऑपरेशन कालसर्प” का ज़िक्र नहीं।
- भारतीय नौसेना/रक्षा मंत्रालय की सार्वजनिक सामग्री Navy Day पर मुख्यतः Operation Trident, Capt. MN Mulla, और अन्य known gallantry awardees पर केंद्रित रहती है।
इतने बड़े, अंतरराष्ट्रीय संवेदनशील ऑपरेशन जो चीन–पाक जॉइंट बेस और Gwadar पोर्ट से जुड़ा बताया जा रहा है का डिक्लासिफिकेशन और उस पर वीर चक्र जैसी उच्च gallantry decoration, अगर सच में हुआ होता, तो उसका रिकॉर्ड केवल सोशल मीडिया और छोटे ब्लॉग तक सीमित नहीं रहता।
कहानी के अंदर की तथ्यगत व भौतिक असंगतियाँ
कई सैन्य और तकनीकी तथ्य इस narrative को अविश्वसनीय बनाते हैं:
(क) 12 किमी की तैराकी 46 मिनट में क्या यह संभव है?
कहानी के मुताबिक:
- टीम ने 12 किमी तैरकर Gwadar पहुँचा
- समय: 46 मिनट
- यानी स्पीड ≈ 15.6 किमी/घंटा
तुलना के लिए:
- दुनिया के शीर्ष फ्रीस्टाइल तैराक (ओलंपिक स्प्रिंट) लगभग 5–6 किमी/घंटा की रफ़्तार भी कुछ सौ मीटर तक ही निकाल पाते हैं, 12 किमी जैसे long distance पर नहीं।
- यहाँ बात खुले समुद्र की है, वो भी भारी combat gear, हथियार, breathing apparatus और गहरे पानी में ऐसे में किसी इंसान का 15+ किमी/घंटा की औसत रफ़्तार से 12 किमी तैरना व्यावहारिक रूप से असंभव माना जाता है, जब तक कोई powered vehicle (DPV, tow, scooter) न हो, जिसका ज़िक्र कहानी में नहीं है।
इसी बात को एक लिंक्डइन यूज़र ने भी विस्तृत गणना के साथ सवाल किया है।
(ख) ऑक्सीजन और दूरी का गणित
कहानी कहती है कि:
- पूरी journey (आना–जाना) के लिए सिर्फ 48 मिनट की ऑक्सीजन थी, और 12 किमी जाने में ही 46 मिनट लग गए।
- फिर वे बिना ऑक्सीजन 12 किमी वापस तैरते रहे, और आख़िरी 2 किमी पर शरीर जवाब दे गया।
यानी कुल path लगभग 24 किमी underwater, लेकिन breathable गैस सिर्फ पहले 46-48 मिनट के लिए। scuba/closed-circuit rebreather के साथ भी, ऑक्सीजन खत्म होते ही diver को कुछ ही मिनटों में surfacing या rescue की ज़रूरत होती है; 12 किमी की अतिरिक्त तैराकी virtually असंभव है।
(ग) समय-रेखा में उलटफेर
कहानी यह भी दावा करती है कि Gwadar से चलने वाला यह बेस Balakot (2019) के बाद भारत पर समुद्री हमला करने की Pakistan की योजना का हिस्सा था, जबकि ऑपरेशन कालसर्प फरवरी 2016 में हो चुका बताया जा रहा है, यानी Balakot से तीन साल पहले।
(घ) MARCOS तक ‘सीधा’ रास्ता
लिंक्डइन पर कुछ पूर्व-सैनिक और रक्षा विशेषज्ञों ने यह भी इंगित किया है कि NDA पास करते ही ‘सीधे MARCOS’ में भर्ती जैसा दावा, व्यवस्थित नौसेना प्रशिक्षण रूट से मेल नहीं खाता आमतौर पर NDA के बाद Indian Naval Academy, फिर fleet training, उसके बाद स्वेच्छा से MARCOS selection और लंबा training pipeline होता है।
(ड़) Gwadar पर 2016 की कोई रिपोर्टेड समुद्री sabotage नहीं
Gwadar एक अत्यंत संवेदनशील, मिलिटरी-वॉच क्षेत्र है; 2016 और बाद के वर्षों में यहाँ कई आतंकवादी हमलों, ऑपरेशनों की रिपोर्ट Pakistani/अंतरराष्ट्रीय मीडिया में दर्ज हैं, लेकिन कहीं भी किसी underwater Indian sabotage mission, sensors या submarine jetties पर बड़े विस्फोट जैसी घटना का उल्लेख नहीं मिलता।
सोशल मीडिया पर उठ रहे सवाल
कहानी जहाँ भावनात्मक प्रतिक्रिया और श्रद्धांजलि बटोर रही है, वहीं कई उपयोगकर्ता खुले तौर पर इसे अविश्वसनीय/AI-जनित फिक्शन कह रहे हैं:
- कुछ ने साफ लिखा है कि उन्हें कोई credible source नहीं मिला, सिर्फ वही कॉपी-पेस्ट पोस्ट दिखाई दे रहे हैं।
- कुछ पूर्व सैनिकों ने MARCOS training pipeline, Vir Chakra के रिकॉर्ड और swimming speed पर तर्क-संगत सवाल उठाए हैं।
अब तक किसी भी आधिकारिक संस्था भारतीय नौसेना, रक्षा मंत्रालय, या The Hindu/Anandabazar जैसे reputed मीडिया ने इस कहानी की सार्वजनिक पुष्टि या खंडन नहीं किया है। पर चुप्पी अपने–आप में प्रमाण नहीं होती, इसलिए ज़रूरी है कि हम दावों को सबूतों के आधार पर तौलें।
निष्कर्ष: प्रेरक लेकिन अप्रमाणित कथा
उपलब्ध डेटा, रिकॉर्ड और तकनीकी/तार्किक विश्लेषण के आधार पर:
1. Lt Cdr अभिषेक चक्रवर्ती नाम के किसी वीर चक्र विजेता का आधिकारिक सार्वजनिक रिकॉर्ड अब तक नहीं मिला।
2. Navy Day 2025 पर प्रधानमंत्री द्वारा किसी नए maritime ऑपरेशन के नायक को वीर चक्र देने का उल्लेख सरकारी प्रेस–रिलीज़ या बड़े मीडिया में नहीं है, जबकि यह सामान्यतः headline news होता।
3. कहानी के कई हिस्से तैराकी की गति, ऑक्सीजन, दूरी का हिसाब, timeline, MARCOS तक पहुँचने का रास्ता, मौजूदा facts और human/operational limits से मेल नहीं खाते।
4. जिन ‘चार स्रोतों’ का नाम दिया गया है, उनका कोई स्वतंत्र, traceable, primary रूप अभी तक उपलब्ध नहीं, वे सिर्फ इसी वायरल टेक्स्ट में बतौर reference घूम रहे हैं।
इसलिए पत्रकारीय मानकों पर यह कहानी फिलहाल:
भावनात्मक, राष्ट्रवादी परन्तु अप्रमाणित और सम्भवतः काल्पनिक/AI-जनित नैरेटिव मानी जानी चाहिए, न कि सत्यापित इतिहास।
भारत के असली नायकों जिन्होंने documented युद्धों और ऑपरेशनों में जान दी है की इज़्ज़त की रक्षा करने के लिए भी ज़रूरी है कि हम फर्ज़ी या unverifiable कहानियों को फ़ैक्ट की तरह शेयर न करें।
आगे क्या?
- अगर The Hindu, Anandabazar Patrika या भारतीय नौसेना भविष्य में इस ऑपरेशन या किसी Lt Cdr Abhishek Chakraborty से जुड़ा verified रिकॉर्ड जारी करते हैं, तो तस्वीर बदल सकती है।
- जब तक ऐसा नहीं होता, पाठकों और मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को यह कहानी ‘फिक्शन/अनवेरिफाइड’ के रूप में ही टैग करनी चाहिए, न कि ‘सच्ची घटना’ के रूप में।
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