उत्तराखंड और बिहार में मानव तस्करी के मामलों में गिरफ्तारी, दर्जनों पीड़ितों को बचाया गया
उत्तराखंड, बिहार और रेलवे क्षेत्रों में हाल ही में मानव तस्करी के कई मामलों में पुलिस व सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दर्जनों बच्चों और युवाओं को मुक्त कराया तथा कई तस्करों को गिरफ्तार किया। सोशल मीडिया के जरिए नौकरी का झांसा, सीमावर्ती इलाकों से बच्चों की तस्करी और संगठित गिरोहों की भूमिका चिंता का विषय बनी हुई है। सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और ऑपरेशन 'आहट' जैसे अभियानों से तस्करी के मामलों पर रोकथाम के प्रयास तेज हुए हैं।

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। नेपाल से बहला-फुसलाकर लाए गए 32 लड़कों को जबरन कंपनी के उत्पाद बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा था। पुलिस ने छापेमारी कर सभी युवकों को मुक्त कराया और तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सामने आया कि सोशल मीडिया के जरिए नौकरी का झांसा देकर युवकों को भारत लाया गया था, जहां उन्हें बंधक बनाकर रखा गया और मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना दी जाती थी। इस मामले में दिल्ली स्थित एक कंपनी की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
इसी तरह, बिहार के मधुबनी जिले में एसएसबी ने नेपाल से भारत लाए जा रहे 12 नाबालिगों को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। सीमावर्ती क्षेत्रों में मानव तस्करी की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं, जिनमें बच्चों और किशोरियों को अवैध रूप से भारत लाया जाता है।
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) भी ऑपरेशन 'आहट' के तहत सक्रिय है। हाल ही में रक्सौल पोस्ट पर आरपीएफ ने तस्करी की कोशिश नाकाम कर तस्कर को गिरफ्तार किया और नाबालिग किशोरियों को सुरक्षित बचाया। वर्ष 2024-25 में अब तक 929 पीड़ितों को बचाया गया और 274 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
इन कार्रवाइयों से स्पष्ट है कि पुलिस, सुरक्षा बल और अन्य एजेंसियां मानव तस्करी के खिलाफ सतर्कता और त्वरित कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन सीमावर्ती और आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में यह अपराध बड़ी चुनौती बना हुआ है।
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