ब्यावर से शुरू हुई जवाबदेही जन-संवाद यात्रा | अरुणा रॉय ने कहा, “जनता ही असली मालिक है”
राजस्थान में जवाबदेही कानून की माँग को लेकर राज्यव्यापी यात्रा का आगाज़ ब्यावर से हुआ। RTI आंदोलन की जन्मस्थली से शुरू हुई इस यात्रा का उद्देश्य सरकार को नागरिकों के प्रति जवाबदेह बनाना है।
ब्यावर (राजस्थान): सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान, राजस्थान द्वारा शुरू की गई राज्यव्यापी ‘जवाबदेही जन-संवाद यात्रा’ का शुभारंभ मंगलवार को ब्यावर के ऐतिहासिक चांग गेट से किया गया। यह वही धरती है जहाँ से 1996 में सूचना के अधिकार आंदोलन (Right to Information Movement) की चिंगारी भड़की थी, जिसने आगे चलकर पूरे देश में RTI Act, 2005 का रूप लिया।
यह यात्रा अजमेर संभाग से आरंभ होकर उदयपुर, कोटा, बीकानेर होते हुए 26 नवंबर 2025 को जयपुर पहुंचेगी। उद्देश्य है राजस्थान में एक सशक्त जवाबदेही कानून लागू करवाना, ताकि शासन नागरिकों के प्रति जवाबदेह और पारदर्शी बने।
यात्रा की शुरुआत में स्वयंसेवकों ने पर्चे बांटे, नारे लगे, “जवाबदेही कानून पास करो!” और “जनता ही मालिक है!”। ब्यावर की गलियाँ जनशक्ति और जनसुनवाई के नारों से गूंज उठीं।
अरुणा रॉय का संबोधन:
कार्यक्रम का शुभारंभ रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने किया। उन्होंने कहा, “यह यात्रा सरकार को यह याद दिलाने की पहल है कि जनता ही असली मालिक है। जवाबदेही लोकतंत्र की आत्मा है। ब्यावर का इतिहास हमें सिखाता है कि परिवर्तन यहीं से शुरू होता है।”
उन्होंने कहा कि ब्यावर को ‘RTI की जन्मभूमि’ के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, क्योंकि इसी शहर से शुरू हुआ संघर्ष आज करोड़ों नागरिकों को सूचना का अधिकार दे चुका है।
RTI आंदोलन और अरुणा रॉय की भूमिका:
1990 के दशक में मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) की स्थापना कर अरुणा रॉय, निखिल डे और शंकर सिंह ने राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में मजदूरों के रोजगार और पारदर्शिता के अधिकार के लिए संघर्ष छेड़ा।
1996 में ब्यावर में आयोजित जन सुनवाई (Public Hearing) से 'सूचना का अधिकार' आंदोलन का राष्ट्रीय स्वरूप सामने आया। जनता ने पहली बार सरकारी रिकॉर्ड, मजदूरी भुगतान और विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई।
इस आंदोलन ने न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई परंपरा को जन्म दिया। परिणामस्वरूप, 2005 में भारतीय संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) पारित किया, जो जनता को शासन के भीतर झांकने की संवैधानिक शक्ति देता है।
यात्रा में अन्य वक्ताओं के विचार:
- निखिल डे (MKSS): “राज्य की जवाबदेही ही लोकतंत्र की आत्मा है। इसे लागू करना सरकार की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है।”
- शंकर सिंह (सामाजिक कार्यकर्ता, रंगकर्मी): “जनता के अधिकारों की लड़ाई एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि सतत संघर्ष है। जवाबदेही कानून जनता के हाथों में ताकत देगा, ताकि सत्ता जनता की सेवा में रहे।”
- मुकेश कुमार व कमल कुमार: “स्वास्थ्य का अधिकार, गिग वर्कर अधिनियम और न्यूनतम आय गारंटी कानूनों को पारित कर प्रभावी रूप से लागू किया जाए।”
पृष्ठभूमि और महत्व:
2016 में भी इसी तरह की राज्यव्यापी यात्रा आयोजित की गई थी, जिसके बाद जयपुर में 22 दिन लंबा धरना चला। तब से नागरिक संगठनों की यह मांग बनी हुई है कि राजस्थान में ‘जवाबदेही कानून’ पारित किया जाए, जो जन शिकायतों, सेवा वितरण और भ्रष्टाचार के मामलों में सरकारी अधिकारियों की स्पष्ट जिम्मेदारी तय करे।
ब्यावर से शुरू हुई यह ‘जवाबदेही जन-संवाद यात्रा’ केवल एक राजनीतिक पहल नहीं, बल्कि लोकतंत्र को जीवंत बनाए रखने का नागरिक प्रयास है। सूचना के अधिकार की तरह ही यह आंदोलन भी शासन और जनता के रिश्ते में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और न्याय की नई राह खोल सकता है।
What's Your Reaction?
