मौसम का बदलता मिजाज: किसानों के लिए अलर्ट और फसल प्रबंधन के व्यावहारिक सुझाव

किसानों को मौसम की अनिश्चितता के बीच सतर्क रहना होगा। नियमित रूप से मौसम अपडेट्स लें, विशेषज्ञ सलाह अपनाएं और फसलों व पशुधन की सुरक्षा के लिए समय पर कदम उठाएं। इससे न केवल नुकसान कम होगा, बल्कि उत्पादन और गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

Apr 23, 2025 - 16:58
May 4, 2025 - 18:41
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मौसम का बदलता मिजाज: किसानों के लिए अलर्ट और फसल प्रबंधन के व्यावहारिक सुझाव
किसान और मौसम का बदलता मिजाज

उत्तर भारत में मौसम के बदलते मिजाज के बीच किसानों के लिए सतर्कता और वैज्ञानिक तरीके से फसल व पशुधन प्रबंधन बेहद जरूरी है। समय पर मौसम की जानकारी लेना और विशेषज्ञों की सलाह अपनाना फसलों की सुरक्षा व उत्पादकता बढ़ाने की कुंजी है। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

मौसम का पूर्वानुमान और प्रभाव

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अगले कुछ दिनों में उत्तर भारत में गरज-चमक, तेज हवाओं, हल्की बारिश, ओलावृष्टि और बिजली गिरने की संभावना है। 20 अप्रैल तक भाभर-तराई, पश्चिमी और मध्य मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35-37 डिग्री सेल्सियस, जबकि बुंदेलखंड और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में 39-41 डिग्री तक रह सकता है। न्यूनतम तापमान 20-26 डिग्री के बीच रहेगा।

20 अप्रैल के बाद तापमान में और वृद्धि के साथ कुछ क्षेत्रों में लू की स्थिति बन सकती है। 25 अप्रैल से 1 मई के बीच उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, लेकिन बुंदेलखंड में तापमान 44 डिग्री तक पहुँच सकता है।

किसानों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

  • आँधी, ओलावृष्टि और बिजली से बचाव
    • मौसम अलर्ट पर नजर रखें और खेत में काम शुरू करने से पहले मौसम साफ होने की पुष्टि करें।
    • फसल कटाई या भंडारण से पहले मौसम की स्थिति जाँच लें।
  • खेत की तैयारी और बुआई
    • जहाँ सिंचाई की सुविधा हो, वहाँ धान की रोपाई के लिए सनई या ढैंचा जैसी हरी खाद की बुआई करें।
    • खाली खेतों में गहरी जुताई, मेड़बंदी और लेजर लेवलर से समतलीकरण करें।
  • गन्ने की बुआई
    • गेहूँ कटाई के बाद गन्ने की बुआई के लिए खेत में सिंचाई करें।
    • गन्ने के बीज का ऊपरी हिस्सा लें, इसे रातभर पानी में भिगोकर 2-3 आंख वाले टुकड़ों में काटें और इथरेल घोल से उपचारित करें।
    • सब्जियों में रोग नियंत्रण:
      • उकठा रोग (विल्ट) से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम (1 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें। 10-12 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें।
      • भिंडी में पीत शिरा मोजैक वायरस के लिए रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट करें। सफेद मक्खी नियंत्रण के लिए नीले चिपचिपे ट्रैप और इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।
  • आम की फसलों की सुरक्षा
    • भुनगा कीट और गुम्मा व्याधि से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड और प्रोफेनोफास का छिड़काव करें।
    • फल मक्खी से बचाव के लिए मिथाइल यूजिनाल ट्रैप और नीम आधारित घोल का उपयोग करें।
    • फलों की गुणवत्ता के लिए बोरेक्स घोल का छिड़काव करें।
  • पशुधन और मत्स्य पालन
    • पशुओं के लिए H.S. और B.Q. रोगों के टीके नजदीकी पशु चिकित्सालयों पर मुफ्त उपलब्ध हैं।
    • मत्स्य पालन के लिए तालाबों की मरम्मत करें और कॉमन कार्प मछली का बीज संचयन करें।

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