मोदी सरकार की जीएसटी पर बड़ी पहल: आम जनता को राहत देने की तैयारी, सस्ती होंगी रोजमर्रा की कई वस्तुएँ
महँगाई के बोझ से दबे आम नागरिकों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार एक बड़ा फैसला लेने की दिशा में अग्रसर है। सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार जीएसटी दरों में बड़ी कटौती की योजना बना रही है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत 12% वाले स्लैब को सीधे 5% स्लैब में मिलाया जा सकता है। यदि यह निर्णय लागू होता है, तो आम जनता को रोजमर्रा के जीवन में उपयोग आने वाली वस्तुएं काफी सस्ती मिलेंगी। इस प्रस्ताव पर जीएसटी काउंसिल की आगामी 56वीं बैठक में विचार किया जा सकता है, जो जुलाई के अंत में होने की संभावना है।

जीएसटी दरों में बदलाव की पृष्ठभूमि
वस्तु एवं सेवा कर (GST) की वर्तमान प्रणाली में 5%, 12%, 18% और 28% की चार प्रमुख दरें हैं। इनमें 12% दर वाली श्रेणी में ऐसी कई वस्तुवस्तुएँ आती हैं, जिनका उपयोग आमजन विशेषकर मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास द्वारा रोज किया जाता है। सरकार लंबे समय से जीएसटी संरचना को तर्कसंगत बनाने और जटिलता कम करने की दिशा में काम कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट सत्र में संकेत दिए थे कि जीएसटी स्लैब का पुनर्गठन कर दरों में कमी लाई जा सकती है। अब यह प्रक्रिया निर्णायक चरण में पहुँच चुकी है।
कब और कैसे होगा फैसला?
इस प्रस्ताव पर फैसला लेने के लिए जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक जुलाई महीने के अंत में प्रस्तावित है। इस बैठक में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री भाग लेंगे। बैठक में सहमति बनने पर 12% जीएसटी स्लैब की कई वस्तुओं को 5% स्लैब में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
इन वस्तुओं के सस्ते होने की संभावना:
1. वस्त्र और जूते:
₹1000 से अधिक कीमत वाले जूते-चप्पल और कपड़े सस्ते हो सकते हैं।
2. खाद्य एवं पेय उत्पाद:
घी, मक्खन, पनीर, और अन्य डेयरी उत्पाद
पैकेज्ड मीट और मछली, जैम, कैंडी, फ्रूट जूस,
सूखे मेवे, ट्रॉफी कैंडी,
डायबिटीज के विशेष खाद्य उत्पाद,
20 लीटर की पैक पानी की बोतलें
3. प्रसंस्कृत खाद्य सामग्री:
पास्ता, नूडल्स, मैक्रोनी, भुजिया, नमकीन, सोयाबड़ी
एसिटिक एसिड/सिरका द्वारा संरक्षित खाद्य पदार्थ
4. दैनिक उपयोग की वस्तुएँ:
चश्मा, पेंसिल, स्लेट, खेल और व्यायाम सामग्री
ईंटें, एनर्जी डिवाइसेज, लकड़ी के फर्नीचर,
संगमरमर की मूर्तियां,
कॉटन एवं जूट के शॉपिंग बैग और हैंडबैग
इस बदलाव का संभावित प्रभाव
यह प्रस्ताव मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास पर केंद्रित है, जिन्हें महंगाई की मार सबसे अधिक झेलनी पड़ती है। यदि 12% की वस्तुवस्तुएँ 5% स्लैब में आती हैं, तो बाजार में कीमतों में सीधा 6-7% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। इससे:
उपभोक्ता वस्तुएँ सस्ती होंगी
रोजमर्रा की जरूरतें सुलभ और किफायती बनेंगी
उपभोग में वृद्धि होगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा
घरेलू बजट पर दबाव कम होगा
वित्त मंत्री के संकेत और आगे की राह
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही कहा था कि जीएसटी स्लैब के सरलीकरण के बाद दरों में कटौती की गुंजाइश है। यह प्रस्ताव उसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालाँकि, अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल की सामूहिक सहमति पर आधारित होगा। राज्यों की सहमति मिलने के बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा।
अगर यह प्रस्ताव पारित होता है, तो यह मोदी सरकार का महंगाई नियंत्रण और जनसहयोग की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय होगा। इससे न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी बल्कि सरकार की जनकल्याणकारी छवि भी और मजबूत होगी। सभी की नजरें अब जुलाई के अंत में होने वाली 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक पर टिकी हैं।
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