पूरेमना गांव की टूटी सड़कें बनीं मौत का रास्ता, विकास कार्यों में प्रधान की बेरुख़ी से ग्रामीण हलाकान
प्रतापगढ़ जिले के भुआलपुर डोमीपुर (मजरा पूरेमना) गांव के आम रास्तों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि ग्रामीणों के लिए मुख्य मार्ग तक पहुँचना एक संकट बन गया है। जलभराव और खस्ताहाल सड़कों पर चलना पैदल भी मुश्किल हो गया है। दर्जनों लोग गिरकर चोटहिल हो चुके हैं, वहीं ग्राम प्रधान और प्रशासनिक तंत्र तमाशबीन बने हुए हैं। ग्राम पंचायत निधि से बनी सड़कें अब नालों में तब्दील हो चुकी हैं, और जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रधान और पूर्व प्रधान पर अनदेखी के आरोप लगते हुए ग्रामीणों ने कहा है कि ‘दारू-मुर्गा और पैसे’ के बदले वोट लेकर वे अब गाँव की दुर्दशा से मुंह मोड़ चुके हैं।

प्रतापगढ़ (सदर)। ग्रामसभा भुआलपुर डोमीपुर के मजरा पूरेमना गांव में आम रास्तों की स्थिति आज भी बद से बदतर है। बारिश होते ही गांव की सड़कें जलमग्न हो जाती हैं और कीचड़ व गड्ढों में तब्दील हो चुकी पगडंडियाँ आमजन के लिए ‘सड़क’ नहीं, एक 'खतरा' बन जाती हैं।
मुख्य मार्ग (मोहनगंज-जैठवारा) से गांव तक आने वाली सड़क बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। यह सड़क जिला पंचायत निधि से बनी थी, जो अब नाले में तब्दील हो चुकी है। नतीजन, रोज़ाना दर्जनों लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैं, और कई बार बच्चे व वृद्ध भी गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
ग्राम पंचायत सदस्य अभय कुमार सिंह ‘पप्पू’ ने कई बार ग्राम प्रधान से जल निकासी और नाली निर्माण के लिए अनुरोध किया, लेकिन उनकी बातों को लगातार नजरअंदाज़ किया गया।
गांव के नागरिक राम विंद सिंह, संतोष सिंह, ओमप्रकाश सिंह, शत्रुघ्न सिंह, राम भवन सिंह, सुधा सिंह, हरिशंकर सिंह सहित दर्जनों लोगों ने कई बार प्रधान, विधायक और अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
दूसरी ओर, चंद्रपाल सिंह के घर तक जाने वाला दूसरा मुख्य रास्ता भी इस कदर टूट चुका है कि न केवल वाहन बल्कि पैदल चलना भी संभव नहीं रहा। टूटा खड़ंजा, जगह-जगह गड्ढे और बिना रोशनी के रात का अंधेरा, यह रास्ता सीधे मौत को न्योता देता है।
गांव के बुज़ुर्गों का कहना है कि वर्तमान और पूर्व ग्राम प्रधान, दोनों ने विकास कार्यों में कोई रुचि नहीं दिखाई। जब इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो प्रधानों का गैर-जिम्मेदाराना बयान सामने आया — "जब दारू, मुर्गा और रुपया लेकर वोट देंगे तो ऐसे ही रास्ते मिलेंगे।"
यह बयान सिर्फ ग्रामीणों के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। अब सवाल यह है कि क्या प्रधान अपने चाटुकार समर्थकों के अलावा आम जनता की भी कोई जिम्मेदारी महसूस करेंगे या फिर जनता को यूँ ही खस्ताहाल सड़कों में गिरते-पड़ते जीवन जीने के लिए छोड़ दिया जाएगा?
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