मोकामा हत्या कांड: अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद पटना SSP का बड़ा खुलासा, जांच में नए तथ्य सामने आए
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में 30 अक्तूबर को हुई हत्या के बाद पुलिस ने जदयू उम्मीदवार अनंत कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। एसएसपी कार्तिकेय के. शर्मा ने बताया कि preliminary जाँच में यह पुष्टि हुई है कि घटना चुनावी माहौल में हुई और आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है। प्रशासन ने सभी लाइसेंसी हथियार जमा कराने और 50 से अधिक चेकपॉइंट लगाने के आदेश दिए हैं।
घटना का संक्षिप्त विवरण
पटना / मोकामा । 2 नवंबर 2025। मोकामा विधानसभा क्षेत्र में 30 अक्टूबर 2025 की शाम हिंसा और झड़प की एक बड़ी घटना हुई, जिसमें जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ता दुलारचंद यादव (76) की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। बताया गया कि घटना उस समय हुई जब दो राजनीतिक दलों के प्रचार-काफिले आपस में भिड़ गए।
प्रारंभिक रिपोर्टों में गोली चलने की बात सामने आई थी, लेकिन बाद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया। रिपोर्ट में पाया गया कि मृतक को गोली नहीं लगी थी, बल्कि छाती पर गहरी चोट और पसलियों के टूटने से फेफड़ा फट गया, जिससे उसकी मौत हुई।
गिरफ्तारी और पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने घटना के तुरंत बाद जदयू प्रत्याशी व मोकामा के पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह के खिलाफ हत्या और हिंसा का मामला दर्ज किया। 1 नवंबर को उन्हें पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए विशेष टीम बनाई गई।
पटना SSP कार्तिकेय के. शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया:
“घटना पूरी तरह राजनीतिक पृष्ठभूमि में हुई है। चुनावी माहौल में हिंसा को भड़काने और आचार संहिता उल्लंघन के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। हमने अब तक 17 लोगों को हिरासत में लिया है और क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन जारी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सीसीटीवी फुटेज, वीडियो, और ड्रोन निगरानी से पूरे घटनाक्रम की सटीक पुनर्संरचना की जा रही है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने बदला रुख
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार -
- मृतक को गोली नहीं लगी थी।
- सीने की हड्डियाँ टूटीं,
- फेफड़ा फट गया, और
- आंतरिक रक्तस्राव के कारण मृत्यु हुई।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह संकेत देता है कि व्यक्ति किसी भारी वस्तु से घायल हुआ, संभवतः झड़प या वाहन से टकराव के दौरान। इससे हत्या के स्वरूप को लेकर नई जांच दिशा सामने आई है।
चुनावी माहौल में तनाव
घटना के बाद मोकामा और उसके आसपास के इलाकों में माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया है। चुनावी सभाओं में पुलिस की उपस्थिति बढ़ाई गई है।
पटना DM श्री त्यागराजन एस.एम. ने सुरक्षा बढ़ाने के आदेश जारी किए हैं-
- क्षेत्र के सभी लाइसेंसी हथियार जमा कराने के निर्देश,
- 50 से अधिक चेकपोस्ट स्थापित,
- CAPF (केंद्रीय सशस्त्र बल) की तैनाती,
- और 24x7 ड्रोन निगरानी की व्यवस्था की गई है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
- जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने कहा,
“यह हत्या सत्ता-संरक्षित बाहुबल की देन है। चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकता जब तक अपराध-राजनीति के गठजोड़ को तोड़ा न जाए।”
- जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने पलटवार करते हुए कहा,
“अनंत सिंह को फंसाने की साजिश रची जा रही है। जांच का परिणाम आने दीजिए, दोषी कोई भी हो, कार्रवाई निश्चित होगी।”
अनंत सिंह की पृष्ठभूमि
अनंत सिंह, जिन्हें अक्सर ‘छोटे सरकार’ कहा जाता है, बिहार की राजनीति में लंबे समय से विवादों में रहे हैं।
- 2015 में उन पर AK-47 बरामदगी का केस चला।
- 2020 में वे निर्दलीय विधायक बने थे।
- जदयू ने 2025 चुनाव में उन्हें पुनः उम्मीदवार बनाया था।
उनकी छवि राजनीति और बाहुबल के संगम के प्रतीक के रूप में मानी जाती है।
कानूनी स्थिति व आगे की जांच
पटना पुलिस ने बताया कि
- अनंत सिंह पर IPC की धारा 302 (हत्या), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से दंगा), 149 (साझा इरादा) में मुकदमा दर्ज है।
- FSL टीम और फॉरेंसिक इकाई को घटनास्थल से जुटाए गए साक्ष्यों की जांच के लिए लगाया गया है।
- CCTV और ड्रोन फुटेज की मदद से यह पता लगाया जा रहा है कि हिंसा किस बिंदु पर शुरू हुई।
SSP शर्मा के अनुसार, “किसी भी राजनीतिक दबाव में आए बिना जांच की जाएगी। सभी अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर आगे की कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”
सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषण
मोकामा कांड ने बिहार की उस पुरानी समस्या को फिर उजागर किया है, जहाँ चुनावों में बाहुबल और धनबल का प्रभाव अभी भी बना हुआ है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि –
- हिंसा का यह स्वरूप लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा है।
- प्रशासन की निष्पक्षता और तेजी इस बार परीक्षा में है।
- अनंत सिंह जैसे प्रभावशाली नेताओं की भूमिका इस चुनाव को राज्य-स्तर तक प्रभावित कर सकती है।
मोकामा हत्या कांड केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि बिहार के चुनावी ढाँचे में व्याप्त राजनीतिक हिंसा की पुनः याद है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि पुलिस की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी रहती है या नहीं, क्योंकि यही आगामी विधानसभा चुनावों की विश्वसनीयता तय करेगी।
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