विद्यासागर विश्वविद्यालय में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और कबीर’ पर विशेष व्याख्यान | प्रो. रामेश्वर मिश्र का वक्तव्य

पश्चिम मिदनापुर: विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में कबीर की भारतीय ज्ञान परंपरा पर विशेष व्याख्यान आयोजित। प्रो. रामेश्वर मिश्र ने कहा कि कबीर लोक और शास्त्र को जोड़ने वाले संत कवि हैं। कार्यक्रम में विभागीय शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।

Nov 21, 2025 - 09:43
Nov 21, 2025 - 09:51
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विद्यासागर विश्वविद्यालय में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और कबीर’ पर विशेष व्याख्यान | प्रो. रामेश्वर मिश्र का वक्तव्य
मंचासीन विद्वान वक्तागण

पश्चिम मिदनापुर, 20 नवंबर। विद्यासागर विश्वविद्यालय, पश्चिम मिदनापुर के हिंदी विभाग में आज ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और कबीर’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार प्रसाद के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने कहा कि भक्तिकाल हिंदी साहित्य का सबसे सशक्त युग है और कबीर इसकी केंद्रीय धुरी हैं। उनके साहित्य में समाज, सत्य और मानवीय मूल्यों की गहरी ध्वनि सुनाई देती है।

मुख्य वक्ता विश्व भारती, शांतिनिकेतन के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. रामेश्वर मिश्र ने अपने विस्तृत वक्तव्य में कहा कि "भारतीय ज्ञान परंपरा लोकाश्रित भी है और शास्त्राश्रित भी।" कबीर इसी द्वंद्व को समन्वित करते हुए ज्ञान को जीवन और समाज से जोड़ते हैं। प्रो. मिश्र ने कहा कि कबीर की परंपरा मनुष्य को मनुष्य बनाने की प्रक्रिया है सहज, समतामूलक और लोककल्याणकारी।

कार्यक्रम का संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संजय जायसवाल ने किया। उन्होंने कहा कि कबीरदास की भक्ति वैयक्तिक साधना भर नहीं, बल्कि सामाजिकता और अनुभवों से उपजा ज्ञान है। कबीर ने ज्ञान परंपरा को अंधविश्वास, रूढ़ियों और धार्मिक कूपमंडूकता से मुक्त किया।

धन्यवाद ज्ञापन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. श्रीकांत द्विवेदी ने किया।

इस अवसर पर राजा नरेन्द्रलाल ख़ान महिला महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रेणु गुप्ता, साथ ही विभाग की शोधार्थी सोनम सिंह, उस्मिता गौड़ा, मिथुन नोनिया, मदन शाह, श्रद्धा उपाध्याय, रूपेश कुमार यादव, रिया श्रीवास्तव, सुषमा कुमारी, नेहा चौबे, लक्खी चौधरी, तथा प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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