बुद्ध पूर्णिमा पर 'हिंदी साहित्य में दलित विमर्श' विषयक राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी संपन्न

संगोष्ठी में प्रस्तुत आलेखों और विचार-विमर्श के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि हिंदी साहित्य में दलित विमर्श न केवल सामाजिक न्याय और समानता की अवधारणा को मजबूती देता है, बल्कि यह साहित्यिक विमर्श को एक नई दिशा भी प्रदान करता है।

May 13, 2025 - 10:07
May 15, 2025 - 14:41
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बुद्ध पूर्णिमा पर 'हिंदी साहित्य में दलित विमर्श' विषयक राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी संपन्न
संगोष्ठी में भाग लेने वाले प्रतिभागी

कोलकाता, 12 मई:  भोजपुरी साहित्य विकास मंच की उपइकाई 'भारतीय भाषा शोध संस्थान' द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 'हिंदी साहित्य में दलित विमर्श' विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन गूगल मीट प्लेटफॉर्म पर किया गया। इस संगोष्ठी में देशभर के विभिन्न राज्यों से प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

संगोष्ठी की शुरुआत नाहिदा शेख द्वारा सभी प्रतिभागियों एवं श्रोताओं को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ देते हुए की गई। इसके पश्चात डॉ. रेखा कुमारी त्रिपाठी ने संगोष्ठी के उद्देश्य और नियमावली से सभी को अवगत कराया। संगोष्ठी के प्रथम वक्ता के रूप में मटियाबुर्ज कॉलेज (कोलकाता) की विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता कुमारी ठाकुर ने अपने आलेख का वाचन किया।

इस संगोष्ठी में महाराष्ट्र से सर्वाधिक सात प्रतिभागियों ने सहभागिता की, जिनमें डॉ. जया सुभाष बागुल (जालना), रमावती एस यादव (पालघर), रजनी गुप्ता (मुंबई), वृषाली शामकांत बिंबे (जलगाव), मंगला वाघमारे (नांदेड़), सुलताना खान (अहमदनगर) और आशा हेमंत सिंह (मुंबई) शामिल रहीं। इनके अतिरिक्त बिहार (हाजीपुर) से डॉ. सुधांशु कुमार चक्रवर्ती, झारखंड (हजारीबाग) से अंजना कुमारी केशरी, हिमाचल प्रदेश (शिमला) से भारती, हरियाणा (कुरुक्षेत्र) से पिंकी चौहान तथा पश्चिम बंगाल से प्रकाश प्रियांशु, निखिता पांडेय और संतोष कुमार वर्मा ने भी विचार प्रस्तुत किए।

संगोष्ठी का संचालन नाहिदा शेख (अहमदनगर) और डॉ. रेखा कुमारी त्रिपाठी (हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा) ने संयुक्त रूप से किया। तकनीकी संचालन की जिम्मेदारी पश्चिम बंगाल की निधि कुमारी सिंह ने निभाई। धन्यवाद ज्ञापन प्रिया श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत किया गया। संगोष्ठी का कार्ड और प्रपत्र डॉ. रेखा कुमारी त्रिपाठी के पुत्र रोहित पाठक ने तैयार किया था। आयोजन की संपूर्ण रूपरेखा विनोद यादव द्वारा निर्धारित की गई थी।

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