छात्रा की गुमशुदगी में निर्दोष युवक की मौत, पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल
यह मामला पुलिस कार्रवाई की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। छात्रा के बयान और पुलिस प्रेस नोट के अनुसार, अर्जुन निर्दोष था, लेकिन पुलिस दबाव के चलते उसकी मौत हो गई। अब देखना होगा कि प्रशासन और मानवाधिकार आयोग इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

बुलंदशहर, 12 मई 2025: बुलंदशहर के औरंगाबाद थाना क्षेत्र के गाँव खाजपुर में 2 मई 2025 को एक छात्रा के लापता होने के बाद, गाँव के अर्जुन सिंह पर अपहरण की FIR दर्ज की गई थी। परिजनों के आरोप के आधार पर पुलिस ने अर्जुन के परिजनों से पूछताछ की और लगातार दबिश दी। पुलिस की पूछताछ और दबाव के बीच अर्जुन 7 मई 2025 को अपने घर से लापता हो गया और उसी दिन उसका शव पेड़ से लटका मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण फाँसी लगाना बताया गया है।
मामले की जाँच और खुलासा
पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, अर्जुन की मौत के बाद छात्रा को 11 मई 2025 को बरामद किया गया। बयान में छात्रा ने स्पष्ट किया कि उसने अपनी मर्जी से एक अन्य युवक के साथ मंदिर में शादी की थी और अर्जुन की इस मामले में कोई भूमिका नहीं थी। छात्रा ने बताया कि वह मृतक अर्जुन से भी बातचीत करती थी, लेकिन दो माह पूर्व उसने अर्जुन के साथ संबंध खत्म कर लिए थे और तीन माह पहले मंदिर में मोहित नामक युवक से विवाह कर लिया था।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
मामले में आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री देवेंद्र सिंह राणा ने पुलिस की कार्रवाई को अर्जुन की मौत का कारण बताया है। राणा ने थाना औरंगाबाद में तहरीर देकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई, निष्पक्ष जाँच और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की माँग की है। तहरीर की प्रतिलिपि ADG मेरठ, DIG मेरठ, DGP यूपी, मुख्य सचिव यूपी, प्रमुख सचिव गृह यूपी, और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली को भी भेजी गई है।
परिजनों और ग्रामीणों की माँग
- दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई
- मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जाँच
- पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
फिलहाल पुलिस ने नामजद अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और मामले की जाँच जारी है। पुलिस का कहना है कि अर्जुन के परिजनों से पूछताछ और स्थिति स्पष्ट करने के प्रयास किए गए थे, लेकिन अर्जुन का पुलिस से संपर्क नहीं हो पाया था।
मानवाधिकार आयोग और उच्च अधिकारियों को भेजा गया पत्र
मामले की गंभीरता को देखते हुए तहरीर की प्रतिलिपि सभी उच्च अधिकारियों और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी गई है, ताकि निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित हो सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।
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