रक्षाबंधन पर खड़गपुर में दिखा भाईचारे और सामाजिक सौहार्द का अद्भुत नज़ारा
पश्चिम मेदिनीपुर के खड़गपुर में रक्षाबंधन के अवसर पर विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों और नागरिकों ने आपसी सौहार्द और भाईचारे का संदेश देने के लिए विशेष पहल की। दिनभर चलने वाले इस अभियान में लोगों को राखी बांधी गई और जाति, धर्म, भाषा के सभी मतभेदों को भूलकर एकता का संदेश दिया गया। विविध राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता और पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

खड़गपुर: रक्षाबंधन का पर्व इस बार खड़गपुर में सिर्फ बहन-भाई के रिश्ते तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह शहर सामाजिक और सांप्रदायिक एकता का प्रतीक बन गया। पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत खड़गपुर में शनिवार को कई स्वयंसेवी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने एक संयुक्त पहल कर पूरे शहर में भाईचारे का संदेश फैलाया।
सुबह से ही संगठन के सदस्य शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में निकल पड़े और राहगीरों, दुकानदारों, बस यात्रियों, मजदूरों, पुलिसकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों को राखी बांधी। उनका संदेश साफ था – “यह बंगाल भाईचारे का बंगाल है, जहां सभी मतभेदों को पीछे छोड़कर प्रेम और सौहार्द के रिश्ते निभाए जाते हैं।”
राजनीति और प्रशासन ने भी दिया साथ
इस विशेष पहल में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हुए। खड़गपुर के पुलिस प्रशासन के अधिकारी और कई कर्मियों ने भी खुशी-खुशी राखी बंधवाई और सामाजिक एकजुटता के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। आयोजन ने यह साबित किया कि त्यौहार सद्भाव और एकता के पुल बन सकते हैं।
खड़गपुर की सांस्कृतिक पहचान
खड़गपुर एक बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक शहर है, जहां बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, असम और देश के कई हिस्सों के लोग दशकों से एक साथ रहते आए हैं। वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि यहां हर त्योहार – चाहे वह ईद हो, दुर्गा पूजा, दिवाली या क्रिसमस – सभी समुदाय के लोग मिलकर मनाते हैं। यही खड़गपुर की असली ताकत है और इसे बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।
रक्षाबंधन पर खड़गपुर का यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक, साम्प्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का जीवंत उदाहरण था। यह पहल आने वाले समय में अन्य जगहों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है, ताकि मतभेदों से ऊपर उठकर समाज में प्रेम और एकता की डोर मजबूत हो।
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