राष्ट्रीय एकात्मकता पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी | कोलकाता | 5–6 दिसंबर 2025
केंद्रीय हिंदी निदेशालय और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता द्वारा 5–6 दिसंबर 2025 को ‘राष्ट्रीय एकात्मकताः लोक, संस्कृति, सहज बोध’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित होने जा रही है। देशभर के विद्वान इसमें भाग लेंगे।
कोलकाता। केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में 5–6 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘राष्ट्रीय एकात्मकताः लोक, संस्कृति, सहज बोध’ आयोजित की जाएगी। यह संगोष्ठी साल्ट लेक स्थित अखिल भारतीय स्वच्छता एवं जन स्वास्थ्य संस्थान (All India Institute of Hygiene and Public Health), कक्ष संख्या 308, 27 वी, जे.सी. ब्लॉक, सेक्टर-3, कोलकाता-700106 में सम्पन्न होगी।
कार्यक्रम के संरक्षक के रूप में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा की प्रो. कुमुद शर्मा संपूर्ण आयोजन को मार्गदर्शन देंगी। कोलकाता स्थित क्षेत्रीय केंद्र के स्थानीय संयोजक डॉ. अमित राय (एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रभारी) हैं तथा संपूर्ण संगोष्ठी की प्रभारी केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली की सहायक निदेशक (भाषा) डॉ. नूतन पाण्डेय होंगी।
उद्घाटन सत्र : राष्ट्रीय एकात्मकता पर दृष्टि-निर्माण
पहला दिन, 5 दिसंबर 2025 (शुक्रवार), पूर्वाह्न 11 बजे से उद्घाटन सत्र के साथ शुरू होगा।
सत्र का वृहद् विषय है ‘राष्ट्रीय एकात्मकता : लोक, संस्कृति, सहज बोध’।
- स्वागत वक्तव्य - डॉ. अमित राय, एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रभारी, क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता
- अध्यक्षता - प्रो. निर्मल नारायण चक्रवर्ती, कुलपति, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता
- विषय प्रवर्तन - डॉ. नूतन पाण्डेय, सहायक निदेशक (भाषा), केंद्रीय हिंदी निदेशालय
- बीज वक्तव्य - प्रो. तनुजा मजुमदार, पूर्व आचार्य, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता
- विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. सोमा बंदोपाध्याय, कुलपति, पश्चिम बंग शिक्षक प्रशिक्षण, शिक्षा योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय, कोलकाता तथा प्रो. आर. शशिधरन, पूर्व आचार्य, विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, कोचीन (केरल) की उल्लेखनीय उपस्थिति रहेगी।
उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. अभिलाष कुमार गोंड (सहायक प्रोफेसर, क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता) करेंगे और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. चित्रा माली द्वारा दिया जाएगा।
प्रथम व द्वितीय अकादमिक सत्र : सांस्कृतिक विमर्श और सहज बोध
भोजनावकाश के पश्चात प्रथम अकादमिक सत्र (अपराह्न 2.30 से 3.30 बजे) में ‘राष्ट्रीय एकात्मकता और सांस्कृतिक विमर्श’ विषय पर चर्चा होगी। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. राज शुक्ला (कलकत्ता विश्वविद्यालय) करेंगी। साथ ही प्रो. दत्तात्रय मरुमकर (पूर्व अध्यक्ष, हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय), डॉ. इतु सिंह, डॉ. संजय जायसवाल (सहायक प्रोफेसर, विद्यासागर विश्वविद्यालय, मिदनापुर) आदि विद्वान अपने वक्तव्य देंगे। सत्र का संचालन डॉ. चित्रा माली करेंगी और धन्यवाद ज्ञापन प्रदीप ठाकुर (केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली) करेंगे।
द्वितीय अकादमिक सत्र (अपराह्न 3.30 से 5.00 बजे) का केंद्रीय विषय होगा ‘राष्ट्रीय एकात्मकता और सहज बोध’। इस सत्र की अध्यक्षता विश्व भारती, शांतिनिकेतन के प्रो. रामेश्वर मिश्र करेंगे। इसमें प्रो. वेदरमण पाण्डेय (हिंदी विभाग, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय), प्रो. सुनील कुमार द्विवेदी (सिलीगुड़ी), डॉ. मधु सिंह (सहायक प्रोफेसर, कोलकाता) और आदित्य विक्रम सिंह अपने विचार रखेंगे। सत्र का संचालन पूजा गुप्ता (सहायक प्रोफेसर, कोलकाता) और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अभिलाष कुमार गोंड करेंगे।
दूसरे दिन की शुरुआत : लोक-साहित्य के माध्यम से एकात्मकता
6 दिसंबर 2025 (शनिवार) को तृतीय अकादमिक सत्र (पूर्वाह्न 11.00 से अपराह्न 1.00 बजे) का विषय होगा ‘राष्ट्रीय एकात्मकता और लोक साहित्य’। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. आर. शशिधरन करेंगे।
वक्ता के रूप में पूर्व पुलिस महानिदेशक (प.बं.) एवं वरिष्ठ साहित्यकार मृत्युंजय कुमार सिंह, प्रो. पुष्पा बरनवाल (रायबरेली, उत्तर प्रदेश), डॉ. जगदीश भगत (एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, विश्व भारती, शांतिनिकेतन), डॉ. गीता दुबे (एसोसिएट प्रोफेसर, स्कॉटिश चर्च कॉलेज, कोलकाता) तथा पूजा गुप्ता भाग लेंगी।
सत्र का संचालन डॉ. अभिलाष कुमार गोंड और धन्यवाद ज्ञापन क्षेत्रीय केंद्र प्रभारी डॉ. अमित राय द्वारा किया जाएगा।
इसी सत्र में शोध पत्र प्रस्तुति के अंतर्गत ब्रजेश प्रसाद एवं अजय पोद्दार अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे, जिससे युवा शोधार्थियों को राष्ट्रीय विमर्श में सक्रिय भागीदारी का अवसर मिलेगा।
चौथा सत्र : भाषा विमर्श और राष्ट्रीय एकता
भोजनावकाश के बाद चतुर्थ अकादमिक सत्र (अपराह्न 2.30 से 4.30 बजे) ‘राष्ट्रीय एकात्मकता और भाषा विमर्श’ विषय पर केंद्रित होगा।
- अध्यक्षता - प्रो. अरुण होता, पश्चिम बंगाल स्टेट यूनिवर्सिटी, बारासात, कोलकाता
- वक्ता - प्रो. नीरज शर्मा (हिंदी विभाग, वर्धमान विश्वविद्यालय), डॉ. विनय कुमार मिश्र (सहायक प्रोफेसर, कोलकाता), मृत्युंजय श्रीवास्तव (वरिष्ठ साहित्यकार, कोलकाता)
- संचालन - सुशील कुमार पाण्डेय, विद्यार्थी, क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता
- धन्यवाद ज्ञापन – डॉ. अभिलाष कुमार गोंड
इस सत्र में भाषा, बोली, अनुवाद और बहुभाषिक परंपरा के माध्यम से राष्ट्रीय एकात्मकता को समझने की कोशिश की जाएगी। साथ ही परमजीत पंडित (कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता) अपना शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।
समापन सत्र : विमर्शों का सार-संमोचन
संगोष्ठी का समापन सत्र (अपराह्न 4.00 से 5.00 बजे) प्रो. सरूप प्रसाद घोष, निदेशक, म.अ.का.ए. एशियन स्टडीज़ इंस्टिट्यूट, कोलकाता की अध्यक्षता में आयोजित होगा।
इस सत्र में
- विशिष्ट अतिथि - प्रो. मीरा सिन्हा, संपादक, मुक्तांचल पत्रिका
- मुख्य अतिथि - प्रो. अमरनाथ, पूर्व आचार्य, कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता उपस्थित रहेंगे।
समापन सत्र का संचालन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता की सहायक प्राध्यापक डॉ. चित्रा माली करेंगी, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नूतन पाण्डेय द्वारा दिया जाएगा। संगोष्ठी का प्रतिवेदन अपर्णा सिंह, विद्यार्थी, क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता प्रस्तुत करेंगी।
दो दिनों तक चलने वाली यह राष्ट्रीय संगोष्ठी न केवल शैक्षणिक विमर्श का मंच बनेगी, बल्कि लोक-संस्कृति, बहुभाषिक भारत, सहज बोध और राष्ट्रीय एकात्मकता के सूत्रों को समकालीन संदर्भ में समझने का अवसर भी प्रदान करेगी। आयोजकों की ओर से देशभर के अध्यापकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों से अपेक्षा की गई है कि वे बड़ी संख्या में सहभागी बनकर इस अकादमिक संवाद को सार्थक बनाएँ।
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