भिंड पुलिस पर हमले, उत्पीड़न और जातिवादी दुर्व्यवहार के आरोप: पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में अवैध रेत खनन पर रिपोर्टिंग कर रहे दो पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पुलिस पर हिरासत में मारपीट, जातिगत अपमान और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। याचिका में तत्काल सुरक्षा और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की माँग की गई है। सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने याचिका को इस सप्ताह के अंत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

Jun 2, 2025 - 23:01
 0
भिंड पुलिस पर हमले, उत्पीड़न और जातिवादी दुर्व्यवहार के आरोप: पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की
भिंड पुलिस पर हमले औरउत्पीड़न का आरोप

02 जून 2025, नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले में चंबल नदी क्षेत्र में अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग कर रहे दो पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं शशिकांत जाटव @ शशिकांत गोयल और अमरकांत सिंह चौहान ने आरोप लगाया है कि रेत माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर उन्हें भिंड पुलिस, विशेष रूप से पुलिस अधीक्षक असित यादव, द्वारा शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का शिकार बनाया गया।

याचिका के अनुसार, 1 मई 2025 को दोनों पत्रकारों को एसपी यादव ने "चाय पर बुलाने" के बहाने अपने कार्यालय बुलाया, लेकिन वहाँ उन्हें हिरासत में लेकर अन्य पत्रकारों के सामने कथित रूप से कपड़े उतरवाकर पीटा गया।

याचिका में विशेष रूप से उल्लेख है कि शशिकांत जाटव जो कि अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, उन्हें जातिवादी गालियाँ दी गईं और चप्पलों से मारा गया।

इस प्रकरण में पत्रकारों ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (वर्ण आधारित भेदभाव निषेध), और 21 (जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के तहत भी आपराधिक कार्रवाई की माँग की गई है।

न्यायालय की प्रतिक्रिया:

मामले को न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस.सी. शर्मा की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति शर्मा ने याचिकाकर्ताओं के सीधे सुप्रीम कोर्ट आने के निर्णय पर प्रश्न उठाया कि वे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता वारिशा फरासत ने तर्क दिया कि पत्रकारों को और उनके परिवार को भिंड पुलिस से गंभीर खतरा है और उन्हें दिल्ली में शरण लेनी पड़ी है।

इस दलील के बाद पीठ ने मामले को इस सप्ताह के अंत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।

याचिका में प्रमुख माँगें:

 याचिकाकर्ताओं को तत्काल सुरक्षा मुहैया कराई जाए।

 एसपी असित यादव और अन्य जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो।

 उच्च स्तरीय स्वतंत्र जाँच करवाई जाए।

 पीड़ितों को मुआवजा और पत्रकारिता की स्वतंत्रता की गारंटी सुनिश्चित हो।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की प्रतिक्रिया:

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए पत्रकारों के साथ एकजुटता जताई है। प्रेस की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया गया है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

न्यूज डेस्क जगाना हमारा लक्ष्य है, जागना आपका कर्तव्य