पूर्व पंजाब डीजीपी और मंत्री पत्नी के खिलाफ बेटे की संदिग्ध मौत पर एफआईआर दर्ज

पंचकूला-हरियाणा में पूर्व पंजाब डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा और पूर्व मंत्री रजिया सुल्ताना पर उनके बेटे अकील अख्तर की मौत के संबंध में हत्या व षड्यंत्र का मामला दर्ज हुआ। वीडियो खुलासों ने मामले को राजनीतिक-परिवारिक विवाद की दिशा दी है; पुलिस ने SIT गठित कर गहन जाँच शुरू की है।

Oct 21, 2025 - 18:08
Oct 21, 2025 - 18:08
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पूर्व पंजाब डीजीपी और मंत्री पत्नी के खिलाफ बेटे की संदिग्ध मौत पर एफआईआर दर्ज
पूर्व पंजाब डीजीपी मुहम्मद मुस्तफा व मृतक अकिल अख्तर

हरियाणा के पंचकूला में स्थानीय पुलिस ने पंजाब के पूर्व डीजीपी मुहम्मद मुस्तफा तथा उनकी पत्नी एवं पूर्व मंत्री रजिया सुल्ताना के खिलाफ उनके बेटे अकिल अख्तर की संदिग्ध मौत के संबंध में हत्या व षड्यंत्र का मामला दर्ज किया है। अकील ने एक वीडियो मैसेज में अपने पिता-पति और अपनी पत्नी के बीच अवैध संबंधों का आरोप लगाया था, उसके बाद उनकी मौत ने पूरे परिवार में भयंकर विवाद खड़ा कर दिया है। हरियाणा पुलिस ने मामले की गहन जाँच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित कर ली है।

घटना-परिचय एवं समयरेखा

अकील अख्तर, जिसकी उम्र लगभग 30-35 वर्ष बताई जा रही है, 2025 के मध्य (सूत्रों के मुताबिक अक्तूबर में) पंचकूला के निवास में अचानक बेहोश पाए गए थे और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनका निधन हो गया।

प्रारंभिक तौर पर घटना को स्वास्थ्य समस्या या आकस्मिक मृत्यु माना गया, लेकिन बाद में अकील द्वारा सोशल-मीडिया पर दी गई एक वीडियो चौंकाने वाली सबूत बनी। वीडियो में उन्होंने अपने पिता-पति और अपनी पत्नी के बीच संबंधों व उत्पीड़न का खुलासा किया।

इस वीडियो एवं सोशल-मीडिया पोस्ट के बाद स्थानीय पुलिस को मामला संदिग्ध प्रतीत हुआ तथा हत्या, षड्यंत्र व अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया।

पुलिस ने तुरंत जाँच के लिए SIT गठित किया है जिसमें अपराध शाखा, साइबर सेल तथा पोस्ट-मॉर्टम एवं फॉरेंसिक टीम शामिल हैं।

आरोप तथा दावे

अकील ने वीडियो में दावा किया कि उनके पिता व उनकी पत्नी के बीच गुप्त संबंध थे। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ रहा था, उनकी माँ व बहन इस मामले में षड्यंत्र रच रही थीं।

 उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कई-बार शिकायत की थी, लेकिन उन्हें सुरक्षा नहीं मिली। वीडियो में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि “अगर कुछ हुआ तो जिम्मेदार वही होंगे जिनके विरुद्ध मैं आवाज उठाया”।

 इन आरोपों के सामने आने के बाद परिवार के भीतर प्रतिकार, विवाद व तनाव बढ़ गया। इसके अलावा यह विवाद राजनीतिक आयाम भी ले चुका क्योंकि दोनों आरोपित राजनीतिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति हैं।

कानूनी पहलू

हरियाणा पुलिस ने वर्तमान में आरोपितों के खिलाफ हत्या (जघन्य/संदिग्ध मृत्यु) व षड्यंत्र सहित अन्य प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।

 जाँच में प्रमुख बिंदु होंगे, पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट (मृत्यु का कारण, यदि विष, दमघोंटू पदार्थ या बाह्यहिंसा पाई जाती है), मोबाइल फोन डेटा (संदेश, कॉल्स), वीडियो फुटेज, सोशल-मीडिया पोस्ट एवं परिवार-परिचितों के बयान।

SIT द्वारा फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं से साक्ष्य जुटाना, प्रतिबंधित स्थानों (घर, मोबाइल, लॉगबुक) की छानबीन करना शामिल होगा।

जाँच के दौरान आरोपितों की प्रतिष्ठा, सरकारी पद की स्थिति एवं राजनीतिक हित भी जाँच-परख का हिस्सा बन सकते हैं।

न्यायिक प्रक्रिया की दृष्टि से, सिद्ध करना होगा कि क्या मृत्यु वास्तव में आकस्मिक थी या उसमें नरसंहार/हत्या/किसी अन्य तरह की विधि-विरुद्ध घटना शामिल थी।

 इसके अलावा, आरोपी पक्षों द्वारा सुरक्षा-प्रबंध, दबाव, धमकी या अन्य प्रकार के उत्पीड़न के दावों की भी जाँच होगी।

सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि

 मोहम्मद मुस्तफा पंजाब के पूर्व डीजीपी रहे हैं, जिनकी पदवी सेवानिवृत्ति के बाद भी सामाजिक-राजनीतिक प्रतिष्ठा बनी हुई थी।

 रजिया सुल्ताना पूर्व मंत्री एवं विधायक रही हैं, जिन्होंने राजनीतिक रूप से सक्रिय भूमिका निभाई है।

 इस घटना ने कानून-प्रशासन, राजनीतिक प्रभाव-शक्ति तथा पारिवारिक दाव-पेंच को सामने ला दिया है।

 सोशल-मीडिया वीडियो के जरिए किए गए खुलासे ने पारिवारिक विवाद को सार्वजनिक रूप दिया है, जहाँ निजी मामला सार्वजनिक राजनीति में परिवर्तित हुआ।

 इस प्रकार मामला सिर्फ एक निजी मृत्यु नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा, सरकारी पदाधिकारियों की जवाबदेही और पारिवारिक रहस्य का संगम बन गया है।

आगे की जाँच और संभावित परिणाम

 SIT की जाँच की प्रगति इस बात पर निर्भर करेगी कि कौन-से साक्ष्य सामने आते हैं, जैसे वीडियो के प्रमाण-स्वरूप, मोबाइल व फोन कॉल लॉग, पोस्ट-मॉर्टम निष्कर्ष, घर-परिवार की गतिविधियों का रिकॉर्ड आदि।

 यदि हत्या या षड्यंत्र सिद्ध हुआ, तो आरोपी पक्ष को कठोर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें जीवन-कैद, राजनीतिक पद से निष्कासन, सरकारी सुविधाओं का निलंबन आदि हो सकते हैं।

 सामाजिक रूप से यह घटना आरटीआई, पारदर्शिता, राजनीति-प्रशासन के बीच की दूरी तथा सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही पर नया बहस खड़ी कर सकती है।

 मीडिया एवं जनसाधारण की निगाह इस मामले पर बनी हुई है, खासकर इसलिए क्योंकि इसमें उच्च-पदस्थ अधिकारी, राजनीतिक व्यक्तित्व, और परिवारिक विवाद तीनों का मिश्रण है।

 जाँच की निष्पक्षता पर ध्यान दिया जाएगा, क्या आरोपी पक्ष पर दबाव होगा, साक्ष्य सुरक्षित रखे जाएंगे, या जाँच दल को स्वतंत्र काम करने सुविधा मिलेगी?

पंचकूला में अकील की संदिग्ध मौत ने केवल एक परिवार को संकट में नहीं डाला, बल्कि एक प्रतिष्ठित अधिकारी-राजनेता के परिवार के निजी जीवन को सार्वजनिक जाँच-खाँच में ला दिया। इस घटना ने कानून, राजनीति, पारिवारिक रिश्तों और सामाजिक-मीडिया के पारस्परिक प्रभाव को उजागर किया है। अब जाँच यह तय करेगी कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा था या एक सुविचारित षड्यंत्र और न्याय किस रूप में सामने आएगा।

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