देश-विदेश में सुबर्ण रैखिक परिवार द्वारा राखी बंदन उत्सव: पर्यावरण, भाषा और सामाजिक सौहार्द की अपार भावना
झारगढ़म स्थित सुबर्ण रैखिक परिवार के तत्वाधान में "मायारकार भाषा, मायारकार गर्व" के संकल्प से इस वर्ष शनिवार को देश और विदेश के विभिन्न स्थानों पर राखी बंदन उत्सव और गमहा पुनई का उल्लासपूर्ण आयोजन संपन्न हुआ। इस उत्सव के माध्यम से गंगा-यमुना और प्रकृति रक्षा, सभी मातृ-भाषाओं के संरक्षण, मां-बेटी और सभी नागरिकों के सम्मान का व्यापक संदेश फैलाया गया। झारखंड, पश्चिम मिदनपुर, कोलकाता सहित कई भारतीय राज्यों और ओमान, सऊदी अरब, अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशों में इस उत्सव को बड़े उत्साह से मनाया गया।

झारगढ़म के सुबर्ण रैखिक परिवार ने इस बार राखी बंदन उत्सव को सभी जाति-धर्म, भाषा और क्षेत्रीय भेदों से ऊपर उठकर एकता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सौहार्द का उत्सव बनाया। दुनिया के कई देशों और भारत के विभिन्न राज्यों के सुबर्ण रैखिक भाषा-भाषी लोग इस कार्यक्रम में भाग लेकर इसे वैश्विक पहचान दी। आयोजन में नदी और वृक्ष संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए सुंदर रंगीन कागज से बनी नौकाओं को सुबर्णरैखा नदी में छोड़कर जल संरक्षण का संकल्प लिया गया। साथ ही, स्थानीय बाजारों, सड़कों, नाविकों, दुकानदारों, पुलिसकर्मियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राहगीरों के बीच राखी बांटकर सौहार्द का सजीव संदेश दिया गया।
मेदिनीपुर में प्रसिद्ध क्रांतिकारी खुदीराम बोस बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी याद को भी सम्मानित किया गया। उत्सव के माध्यम से न केवल पारंपरिक भाई-बहन के रिश्ते को सेलिब्रेट किया गया, बल्कि मातृभाषा, पर्यावरण, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई गई।
इस कार्यक्रम ने साबित किया कि राखी का पर्व केवल रक्षा सूत्र नहीं, बल्कि एक साझा संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण और प्रेम एवं एकता का अनूठा प्रतीक है।
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