UP में प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए डॉ. प्रदीप कुमार को सजा
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाराजा चेत सिंह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, भदोही के डॉ. प्रदीप कुमार के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोपों की पुष्टि की है। वीडियो और डॉक्यूमेंट्री सबूतों के आधार पर, राज्य ने निंदा के साथ दो बार सैलरी बढ़ाने से रोकने का आदेश दिया है। UPPSC सहमत है; गवर्नर ने डिसिप्लिनरी कार्रवाई बंद कर दी है।
भदोही के सरकारी चिकित्सक पर निजी प्रैक्टिस का आरोप साबित; राज्यपाल ने दी दो वेतनवृद्धि रोकने व परिनिन्दा की सजा
लखनऊ/भदोही/प्रयागराज। उत्तर प्रदेश सरकार ने महाराजा चेत सिंह जिला चिकित्सालय, ज्ञानपुर भदोही में तैनात फिजीशियन डॉ. प्रदीप कुमार के विरुद्ध निजी अस्पताल में अवैध प्राइवेट प्रैक्टिस किए जाने के आरोप को प्रमाणित मानते हुए कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई की है। राज्यपाल के आदेश से 24 सितंबर 2025 को जारी शासनादेश के अनुसार, डॉक्टर की दो वेतनवृद्धियाँ संचयी प्रभाव से रोकते हुए परिनिन्दा (Censure) की सजा दी गई है। यह कार्रवाई उस समय महत्वपूर्ण मानी जा रही है जब प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस को लेकर लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं और सरकार इस पर ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाने की बात कहती रही है।
शिकायत का आधार: निजी अस्पताल में मरीज देखने का आरोप
शिकायतकर्ता जयचंद मौर्या ने आरोप लगाया था कि डॉ. प्रदीप कुमार, भदोही जिले में सरकारी तैनाती के दौरान भी छोटेलाल बिन्द हॉस्पिटल, बरौत, प्रयागराज में नियमित रूप से मरीज देखते थे। शिकायत में वीडियो क्लिप तथा अन्य दस्तावेज संलग्न किए गए थे, जिनमें डॉक्टर को उक्त निजी अस्पताल में कार्यरत दिखाया गया था। शिकायत दर्ज होने के बाद चिकित्सा अनुभाग–3, उत्तर प्रदेश शासन ने कार्यालय ज्ञाप दिनांक 26.05.2024 के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली–1999 के नियम 7 के अंतर्गत अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ की।
जाँच अधिकारी की नियुक्ति और कार्यवाही
जाँच के लिए अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विंध्याचल मण्डल, मीरजापुर को जाँच अधिकारी नियुक्त किया गया। शासन ने 27.04.2024 को अनुमोदित आरोप पत्र जाँच अधिकारी को भेजते हुए विस्तृत जाँच आख्या माँगी।
20 जनवरी 2025: शिकायतकर्ता के साक्ष्य प्रस्तुत
जाँच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि 20 जनवरी 2025 को शिकायतकर्ता उनके समक्ष उपस्थित हुए और डॉ. प्रदीप कुमार द्वारा निजी प्रैक्टिस किए जाने के बारे में: कई वीडियो क्लिप, दस्तावेज़, अन्य अभिलेखीय साक्ष्य, प्रस्तुत किए। जाँच अधिकारी के अनुसार वीडियो और दस्तावेज़ों के अवलोकन से यह स्पष्ट प्रतीत हुआ कि डॉ. प्रदीप कुमार छोटेलाल बिन्द अस्पताल, बरौत में मरीजों को देख रहे थे। जाँच अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि: “डॉ. प्रदीप कुमार द्वारा तैनाती अवधि में निजी प्रैक्टिस किए जाने का आरोप सत्य प्रतीत होता है और शिकायत की पुष्टि होती है।”
डॉ. प्रदीप कुमार का पक्ष: ‘साजिश और धनउगाही’ का दावा
इस कार्रवाई के बाद शासन ने नियम 9(4) के अंतर्गत डॉक्टर से उनका अभ्यावेदन माँगा। 20.02.2025 को दायर अपने उत्तर में डॉ. प्रदीप कुमार ने कहा: उनके खिलाफ प्रस्तुत वीडियो क्लिप और दस्तावेज कूटरचित हैं, शिकायतकर्ता ने धनउगाही की साजिश के तहत यह सामग्री तैयार की है, वे किसी भी प्रकार की निजी प्रैक्टिस में सम्मिलित नहीं थे। लेकिन शासन ने पाया कि डॉक्टर द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन में कोई नया तथ्य नहीं था। वही तर्क दोहराए गए थे जो पहले भी जाँच के दौरान दिए गए थे। अतः शासन ने जाँच आख्या को विश्वसनीय मानते हुए आरोप को सिद्ध माना।
लोक सेवा आयोग की सहमति और अंतिम निर्णय
दंडादेश पर आगे बढ़ने से पूर्व शासन ने विषय को लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश (UPPSC) के पास परामर्श हेतु भेजा।
UPPSC ने: 01 सितंबर 2025 को भेजे अपने पत्र में शासन द्वारा प्रस्तावित दंड पर पूर्ण सहमति दे दी। इस पर राज्यपाल ने अंतिम आदेश में निर्णय दिया कि: दो वेतनवृद्धियाँ संचयी प्रभाव से रोकी जाएँ, परिनिन्दा (Censure) की सजा लागू की जाए, और दिनांक 26.05.2024 को प्रारंभ की गई अनुशासनिक कार्यवाही समाप्त की जाती है।
दंड चरित्र पंजिका में दर्ज किया जाएगा
शासनादेश में यह भी कहा गया है कि उक्त दंडादेश डॉ. प्रदीप कुमार की वार्षिक गोपनीय आख्या (ACR) वर्ष 2025–26 में प्रविष्टि के रूप में सुरक्षित रखा जाएगा। इस प्रविष्टि का प्रभाव डॉक्टर की भावी पदोन्नतियों और सेवा रिकॉर्ड पर पड़ेगा।
प्रशासनिक तौर पर महत्वपूर्ण निर्णय
स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी कई बड़ी इकाइयों जैसे महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, यूपी लोक सेवा आयोग, विंध्याचल मंडल, और संबंधित जिला अस्पताल को इस आदेश की प्रतिलिपि भेज दी गई है। सरकार के इस निर्णय को प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र में अनुशासन और पारदर्शिता की दिशा में कड़ा संदेश माना जा रहा है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?
सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस एक लंबा विवाद
उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों में सरकारी चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस लंबे समय से विवाद और आलोचना का विषय रही है।
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि:
शिकायतकर्ता ने वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत किए,
जाँच अधिकारी ने उन्हें विश्वसनीय माना,
और डॉक्टर की दलीलों को अपर्याप्त समझा गया।
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा बढ़ाने का प्रयास
सजा संदेश देती है कि यदि कोई सरकारी चिकित्सक सरकारी सेवा के समय निजी लाभ के लिए कार्य करता है, तो कठोर दंड दिया जाएगा।
कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया का क्लासिक उदाहरण
यह मामला प्रशासनिक जाँच और अनुशासनिक प्रक्रिया का एक आदर्श उदाहरण है शिकायत, आरोप पत्र, जाँच, अभ्यावेदन, आयोग का परामर्श, और अंत में राज्यपाल का निर्णय।
डॉ. प्रदीप कुमार के खिलाफ निजी प्रैक्टिस का आरोप सिद्ध होने और उस पर दंड लगने का यह मामला प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई भविष्य में ऐसी गतिविधियों में शामिल होने वाले अन्य सरकारी चिकित्सकों के लिए भी सख्त चेतावनी है।
What's Your Reaction?
