असम, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भाषा आधारित हमलों की पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज ने की कड़ी निंदा
पश्चिम बंग हिंदीभाषी समाज ने असम में बांग्लाभाषियों और महाराष्ट्र-कर्नाटक में हिंदी भाषियों पर हो रहे हमलों को संविधान और राष्ट्रीय एकता के विरुद्ध बताया है। संगठन ने केंद्र और भाजपा सरकार की नीतियों की कड़ी निंदा करते हुए इसे भाषा के नाम पर समाज को बांटने की साजिश करार दिया है।

17 जुलाई 2025 | असम में बांग्लाभाषी समुदाय पर हो रहे हमलों, और महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में हिंदीभाषियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के खिलाफ पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज ने तीव्र विरोध जताया है। संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र व राज्य सरकारों की भाषा-आधारित विभाजनकारी नीतियों पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है।
संगठन के अध्यक्ष हेमंत प्रभाकर और कार्यकारी महासचिव पूनम कौर द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि "असम में बांग्ला बोलने वालों को बांग्लादेशी बताकर निशाना बनाना भाजपा की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जनविरोधी नीतियों से ध्यान भटकाना है।"
प्रेस विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया गया कि कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से पूछा है कि "पूरे देश में एकसाथ बांग्लाभाषियों को बांग्लादेशी बताकर चिह्नित करना क्या किसी बड़ी योजना का हिस्सा है?"
संगठन ने कहा कि जिस प्रकार महाराष्ट्र और कर्नाटक में हिंदीभाषियों को निशाना बनाया गया, वह भी इसी रणनीति का 'सह-उत्पाद' है और इसकी जितनी निंदा की जाए, कम है।
भारतीय संविधान ने प्रत्येक नागरिक को देश में कहीं भी आवागमन, निवास और आजीविका के अवसरों की स्वतंत्रता दी है। ऐसे में भाषा और क्षेत्र के आधार पर नागरिकों को प्रताड़ित करना संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों का उल्लंघन है।
संगठन की माँगें:
भाषा के आधार पर हो रहे हमलों पर तत्काल रोक लगे।
निर्दोष बांग्लाभाषियों को रिहा किया जाए।
केंद्र व राज्य सरकारें संवैधानिक जिम्मेदारी निभाते हुए नागरिक अधिकारों की रक्षा करें।
सभी जनपंथियों, सामाजिक संगठनों और नागरिक समाज को भाजपा की इस बाँटो और राज करो नीति के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।
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