भारत का विदेशी मुद्रा भंडार नई ऊँचाई पर: रिकॉर्ड 702.78 अरब डॉलर तक पहुँचा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 27 जून 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.84 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 702.78 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। यह नौ महीनों में पहली बार है जब भंडार 700 अरब डॉलर के पार गया है, और यह सितंबर 2024 के 704.89 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर के बेहद करीब है। इस बढ़ोतरी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और वैश्विक बाजार में उसकी स्थिति को और सुदृढ़ किया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 27 जून 2025 को सप्ताह में 4.84 अरब डॉलर बढ़कर 702.78 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है। यह अक्तूबर 2024 के बाद पहली बार है जब भारत का फॉरेक्स रिजर्व 700 अरब डॉलर के पार गया है। इससे पहले, पिछले सप्ताह भंडार में 1.01 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी, जिससे यह 697.93 अरब डॉलर पर आ गया था।
भंडार की संरचना में बदलाव
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (Foreign Currency Assets - FCA): आलोच्य सप्ताह के दौरान FCA में 5.75 अरब डॉलर की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे यह 594.82 अरब डॉलर तक पहुँच गया। FCA देश के कुल फॉरेक्स रिजर्व का सबसे बड़ा हिस्सा होता है, जिसमें डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य प्रमुख मुद्राएँ भी शामिल होती हैं।
सोने का भंडार:
इस सप्ताह सोने के भंडार में 1.23 अरब डॉलर की गिरावट आई और यह घटकर 84.5 अरब डॉलर रह गया।
स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR):
SDR में 158 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई और यह 18.83 अरब डॉलर हो गया।
आईएमएफ में आरक्षित स्थिति:
IMF में भारत की आरक्षित स्थिति 176 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.62 अरब डॉलर हो गई।
ऐतिहासिक महत्व
सितंबर 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.89 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँचा था। मौजूदा वृद्धि से भारत अब उस रिकॉर्ड के बेहद करीब है और यदि यही रुझान जारी रहा तो जल्द ही नया रिकॉर्ड बन सकता है। यह बढ़ोतरी भारत की आर्थिक स्थिरता, आयात क्षमता, अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास और रुपये की मजबूती के लिहाज से बेहद अहम है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद भारत का फॉरेक्स रिजर्व लगातार मजबूत बना हुआ है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को झटकों से उबरने की बेहतर क्षमता मिलती है।
विशेषज्ञों की राय: आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में यह तेजी भारत के आयात-निर्यात संतुलन, विदेशी निवेश के प्रवाह और रुपये की स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत है। साथ ही, यह सरकार और रिजर्व बैंक को वैश्विक बाजार में मुद्रा विनिमय दरों के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए पर्याप्त सुरक्षा देता है।
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