इंद्रायणी नदी पुल हादसा: मावल में 6 की मौत, लापरवाह सिस्टम या असावधान भीड़?
महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तालुका स्थित कुंडमाला में रविवार को एक भयावह हादसा हुआ, जब इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना पुल अचानक टूट गया। इस घटना में अब तक 6 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। हादसे ने प्रशासन की जिम्मेदारी और पर्यटकों की सतर्कता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कुंडमाला, तालेगांव दाभाड़े, मावल तालुका, पुणे ज़िला (महाराष्ट्र) : रविवार, 14 जून 2025 को लगभग 3:30 बजे दोपहर रविवार को छुट्टी होने के कारण कुंडमाला, जो एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, पर्यटकों से भरा हुआ था। दोपहर बाद इंद्रायणी नदी का बहाव तेज था और इसी दौरान, नदी पर बना एक पुराना पुल अचानक ढह गया। पुल पर मौजूद लगभग 25 से 30 लोग नदी में गिर गए। स्थानीय विधायक सुनील शेल्के ने ‘टीवी9 मराठी’ को जानकारी दी कि 6 लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग अब भी लापता हैं।
प्रशासन की लापरवाही या सिस्टम फेलियर?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पुल बेहद पुराना था और पहले से जर्जर हालत में था। कई बार इसकी मरम्मत या प्रतिबंधित उपयोग की माँग की गई थी, लेकिन जिला प्रशासन या ग्राम पंचायत द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। न ही कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया, और न ही पुल की स्थिति को देखते हुए आवागमन पर रोक लगाई गई।
पर्यटकों की चूक भी बनी कारण?
कुछ वीडियो फुटेज से यह स्पष्ट है कि पुल पर काफी भीड़ थी, और कुछ लोग रेलिंग पर चढ़कर सेल्फी ले रहे थे। विशेषज्ञों का मानना है कि क्षमता से अधिक लोड होने के कारण पुल का संतुलन बिगड़ गया, जिससे यह हादसा हुआ।
बचाव अभियान:
घटना की सूचना मिलते ही NDRF, दमकल और पुलिस विभाग की टीमें घटनास्थल पर पहुँचीं। रेस्क्यू ऑपरेशन तुरंत शुरू किया गया। अब तक कई लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जबकि कुछ लोग लापता हैं। घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
प्रतिक्रिया:
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा: "मैंने डिविजनल कमिश्नर, तहसीलदार और पुलिस कमिश्नर से बात की है। कुछ लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया है। बचाव कार्य जारी है। फिलहाल मृतकों की संख्या की पुष्टि प्रशासनिक स्तर पर नहीं हुई है।"
व्यवस्था बनाम व्यवहार:
यह हादसा सिर्फ एक पुल के गिरने की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताता है कि जब संरचनात्मक लापरवाही और जनजागरूकता की कमी एक साथ मिलती हैं, तो उसकी कीमत जानों से चुकानी पड़ती है। अब वक्त आ गया है जब - पुराने पुलों और सार्वजनिक संरचनाओं की समय-समय पर तकनीकी जाँच अनिवार्य की जाए। ऐसे संवेदनशील स्थलों पर पर्यटक नियंत्रण, चेतावनी बोर्ड और गार्ड व्यवस्था लागू हो। जनता को भी सिखाया जाए कि खतरे और रोमांच में फर्क करना ज़रूरी है।
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