हाई वोल्टेज तार की चिंगारी से डेढ़ बीघा गेहूँ की फसल राख, ग्रामीणों की सूझबूझ से बड़ा नुकसान होने से बचा

पिलखुना, पुरे मटुका की इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण भारत में बिजली विभाग की लापरवाही और इसके गंभीर परिणामों को उजागर किया है। प्रशासन को न केवल त्वरित मुआवजा सुनिश्चित करना चाहिए, बल्कि बिजली विभाग के साथ मिलकर ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय भी करने चाहिए। यह समय है कि किसानों की मेहनत को इस तरह बर्बाद होने से बचाया जाए और उनकी आजीविका को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ।

Mar 27, 2025 - 18:39
May 4, 2025 - 19:13
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हाई वोल्टेज तार की चिंगारी से डेढ़ बीघा गेहूँ की फसल राख, ग्रामीणों की सूझबूझ से बड़ा नुकसान होने से बचा
गेहूँ की फसल जलकर राख

भदोही: उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के ऊँज थाना क्षेत्र के पिलखुना, पुरे मटुका गाँव में गुरुवार दोपहर एक हादसा हुआ, जब हाई वोल्टेज बिजली के तार से निकली चिंगारी ने खेतों में आग लगा दी। इस घटना में करीब डेढ़ बीघा गेहूँ की खड़ी फसल जलकर राख हो गई। ग्रामीणों के तत्परता और साहस के कारण आग पर काबू पाया गया, वरना नुकसान और भी व्यापक हो सकता था। नायब तहसीलदार जयराम प्रजापति ने मौके पर पहुँचकर प्रभावित किसानों को मुआवजे का आश्वासन दिया है।

घटना का विवरण : घटना गुरुवार दोपहर की है, जब पिलखुना गाँव के खेतों के ऊपर से गुजर रहे हाई वोल्टेज तार से चिंगारी निकली और शंभूनाथ तिवारी के गेहूँ के खेत में जा गिरी। तेज हवा के कारण आग ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया और आसपास के खेतों को अपनी चपेट में ले लिया। प्रभावित किसानों में शंभुनाथ तिवारी, ओम प्रकाश तिवारी, कृष्णकांत ओझा, और लालमणी दुबे शामिल हैं, जिनकी मेहनत से तैयार फसल पल भर में नष्ट हो गई।

गाँव के युवाओं ने सूझबूझ और साहस का परिचय देते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर आग बुझाने का प्रयास शुरू किया। कड़ी मशक्कत के बाद वे आग पर काबू पाने में सफल रहे। सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर पहुँ ची, लेकिन तब तक ग्रामीण आग को बुझा चुके थे। यदि समय पर यह प्रयास न हुआ होता, तो आसपास की अन्य फसलों को भी भारी नुकसान पहुँच सकता था।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई : घटना की सूचना मिलते ही नायब तहसीलदार जयराम प्रजापति और कानूनगो अनिल तिवारी मौके पर पहुँचे। उन्होंने क्षतिग्रस्त खेतों का मुआयना किया और प्रभावित किसानों से बातचीत कर नुकसान का आकलन किया। जयराम प्रजापति ने किसानों को आश्वस्त किया कि प्रशासन उनकी हर संभव मदद करेगा और उचित मुआवजे की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।

किसानों की पीड़ा : प्रभावित किसानों ने बताया कि गेहूँ की फसल उनकी मेहनत और आजीविका का मुख्य आधार थी। इस हादसे ने उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा आघात पहुँचाया है। ओम प्रकाश तिवारी ने कहा, "हमने दिन-रात मेहनत करके फसल तैयार की थी, लेकिन एक पल में सब कुछ खत्म हो गया। अब मुआवजा ही हमारी उम्मीद है।" अन्य किसानों ने भी बिजली विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाए और माँग की कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हाई वोल्टेज तारों की नियमित जांच और रखरखाव किया जाए।

मुआवजे की प्रक्रिया : भारत में फसल नुकसान के लिए मुआवजे की व्यवस्था प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और राज्य सरकारों के आपदा राहत कोष के तहत की जाती है। उत्तर प्रदेश में फसल नुकसान का आकलन पटवारी और कानूनगो द्वारा किया जाता है, जो नुकसान की मात्रा और फोटो साक्ष्य के आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हैं। प्रभावित किसानों को सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय तहसील कार्यालय में आवेदन करें और नुकसान की जानकारी दर्ज कराएँ। हरियाणा के 'ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल' जैसे डिजिटल मॉडल का अनुसरण कर उत्तर प्रदेश में भी मुआवजा प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित किया जा सकता है।

 

चुनौतियाँ और समाधान : यह घटना बिजली लाइनों की खराब स्थिति और रखरखाव की कमी को उजागर करती है। उत्तर प्रदेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों में हाई वोल्टेज तारों की वजह से आग लगने की घटनाएँ बार-बार सामने आती हैं। उदाहरण के लिए, 2016 में महराजगंज के घुघली और नौतनवा क्षेत्रों में हाई टेंशन तारों की चिंगारी से कई एकड़ फसलें जल गई थीं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

 

  • नियमित रखरखाव: बिजली विभाग को हाई वोल्टेज तारों और पोलों की नियमित जांच और मरम्मत करनी चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: किसानों को फसल बीमा योजनाओं और मुआवजा प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया जाए।
  • तकनीकी सुधार: भूमिगत केबलिंग या इंसुलेटेड तारों का उपयोग कर ऐसी घटनाओं को कम किया जा सकता है।
  • त्वरित राहत: मुआवजा वितरण में देरी को रोकने के लिए डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली लागू की जाए।

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