आर.बी.सी. सांध्य कॉलेज में प्रेमचंद जयंती पर संगोष्ठी — ‘प्रेमचंद की प्रासंगिकता’ विषय पर विचार-विमर्श
नैहाटी स्थित ऋषि बंकिम चंद्र सांध्य महाविद्यालय के हिन्दी विभाग और आई.क्यू.ए.सी. के संयुक्त तत्वावधान में ‘प्रेमचंद की प्रासंगिकता’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण से आरंभ हुए इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने प्रेमचंद की साहित्यिक विरासत, मानवतावाद, सामाजिक संघर्ष और यथार्थवाद पर विचार रखे। संगोष्ठी में शिक्षकों, विद्यार्थियों और वक्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही।

नैहाटी, 31 जुलाई। ऋषि बंकिम चंद्र सांध्य महाविद्यालय (आर.बी.सी. सांध्य कॉलेज), नैहाटी के हिंदी विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था— ‘प्रेमचंद की प्रासंगिकता’, जिसमें वक्ताओं ने प्रेमचंद की बहुआयामी साहित्यिक दृष्टि और समकालीन संदर्भों में उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देबाशीष भौमिक ने प्रेमचंद को सर्वाधिक पठनीय व सहजता के रचनाकार के रूप में वर्णित किया। हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.कलावती कुमारी ने प्रेमचंद को सामाजिक प्रगति का मार्गदर्शक बताते हुए उनकी रचनाओं में प्रवाहित विचारधारा की विशेष चर्चा की।
डॉ. संतोष तुंगा ने प्रेमचंद को संघर्षशील लेखक बताया, जबकि श्री सोमनाथ भट्टाचार्य ने उन्हें मूर्धन्य कथाकार कहा। हिन्दी विभाग के प्राध्यापक जय प्रकाश साव ने प्रेमचंद को मानवतावादी चिंतक के रूप में रेखांकित किया। वहीं डॉ. अनूप कुमार गुप्ता ने प्रेमचंद की कहानियों में ब्राह्मणवाद व जमींदारी प्रथा के खिलाफ़ वैचारिक प्रतिरोध की ओर ध्यान दिलाया।
इस अवसर पर विभागीय विद्यार्थियों अनुपमा वर्मा, असकित मिश्रा, सन्नी साव, ऋषिका ठाकुर, सुप्रिया सिंह, ममता साव, चंद्रकांत मिश्रा, दीपिका साव, साहिल पासी आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में रवि वर्मा, कुसुम भगत, अन्नू राय, दिलीप, सिद्धांत, माही साव समेत विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं छात्र उपस्थित रहे। संचालन डॉ.कलावती कुमारी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनूप कुमार गुप्ता ने दिया।
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