सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न | समकालीन हिंदी साहित्य की विविध दिशाओं पर चर्चा
कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रोफेसरों और शोधार्थियों ने चेतना-प्रवाह, पर्यावरण विमर्श, मूल्यों के संकट और साहित्य के अंतर्संबंधों पर गहन विचार प्रस्तुत किए।
कोलकाता, 18 नवंबर। लगभग 160 वर्ष पुराने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज, कोलकाता के हिन्दी विभाग और अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 'समकालीन हिंदी साहित्य : विविध दिशाएं' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। संगोष्ठी में देशभर के विश्वविद्यालयों के विद्वानों, शोधार्थियों और युवा साहित्यकारों ने भाग लिया।
मुख्य वक्तव्यों की प्रमुख बातें
प्रथम सत्र
प्रो. सत्या उपाध्याय (अध्यक्ष) ने कहा कि समकालीन साहित्य को उसके युगीन, सामाजिक और आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समझे बिना उसकी वास्तविक व्याख्या संभव नहीं।
प्रो. राजश्री शुक्ला, कलकत्ता विश्वविद्यालय, ने 'समकालीन हिन्दी साहित्य में चेतना-प्रवाह' पर बोलते हुए कहा कि वैदिक संस्कृति से लेकर आज तक चेतना-प्रवाह भारतीय साहित्य की मूल धारा रहा है।
डॉ. कमल कुमार, उमेशचंद्र कॉलेज, ने भारतीय भाषाओं के अंतर्संबंधों को सामाजिक व सांस्कृतिक संदर्भों के उदाहरणों के साथ समझाया।
डॉ. हरि राम मीना, युवा कवि-संपादक, ने जल-जंगल-जमीन के संकटों को समकालीन साहित्य का केंद्रीय पर्यावरणीय प्रश्न बताया।
डॉ. अनु कुमारी, मिरांडा हाउस, ने कहा कि “हमारे समय की सबसे बड़ी कमी मूल्यों का क्षरण साहित्य में भी महत्वपूर्ण बहस है।”
द्वितीय सत्र
प्रो. सुरेश चन्द्र (अध्यक्ष), दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, ने विभिन्न विमर्शों के ऐतिहासिक स्वरूप और वर्तमान प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
डॉ. शशि कुमार शर्मा, बर्दवान विश्वविद्यालय, ने समकालीन साहित्य को ऐतिहासिक गौरवबोध से पुनर्विचार करने की आवश्यकता बताई।
डॉ. रुद्र चरण माझी, कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस, ने हिन्दी-उड़िया व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया।
प्रो. विनायक भट्टाचार्य, वाइस-प्रिंसिपल, ने हिन्दी और बांग्ला साहित्य के अंतर्संबंधों पर विद्वतापूर्ण चर्चा की।
प्रतिभागियों का व्यापक वाचन
देशभर के लगभग 80 शोधार्थियों और शिक्षकों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से शोध-पत्रों का वाचन किया। विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता डॉ. कमल कुमार, डॉ. विकास कुमार साव, और डॉ. सुनील कुमार ने की।
आयोजन की अन्य प्रमुख बातें
स्वागत वक्तव्य अधिकरण प्रकाशन के प्रबंधक मनीष सिन्हा ने दिया।
डॉ. कमलेश पाण्डेय ने बीज वक्तव्य में समकालीन हिन्दी साहित्य की बहुआयामी दिशाओं को रेखांकित किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन कॉलेज अध्यक्ष डॉ. सुदीप्त मिड्डे के अभिभाषण से हुआ।
संचालन प्रो. आरती यादव और प्रो. परमजीत कुमार पंडित ने किया।
आयोजन को सफल बनाने में डॉ. स्नेहा सिंह, दिव्या प्रसाद, डॉ. फरहत परविन, प्रीतम रजक, रोहित राम, सामु केराई, रोहित मिश्रा, पलक सिंह, सुमन साव, सोनू महतो, विवेक तिवारी आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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