भारतीय भाषा परिषद में ‘संस्कृति संगम’ पत्रिका का लोकार्पण, कवियों का पाठ और संवाद सत्र
भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित साहित्य संवाद में ‘संस्कृति संगम’ पत्रिका का लोकार्पण हुआ। मनीषा झा, चाहत अन्वी और विहाग वैभव ने कविताएँ सुनाईं। डॉ. शंभुनाथ ने कहा, “कविता हमें साथ-साथ जीना सिखाती है और मनुष्यता का आख्यान है।”

कविता मनुष्यता का आख्यान है : डॉ. शंभुनाथ
कोलकाता, 31 अगस्त। भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित साहित्य संवाद में त्रैमासिक पत्रिका ‘संस्कृति संगम’ का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर कविताओं के पाठ, संवाद और समीक्षा के जरिए साहित्य और समाज के गहरे संबंधों पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम का शुभारंभ भवानीपुर एजुकेशन सोसायटी के डीन प्रो. दिलीप शाह के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने कहा,“कविता हमारे जीवन की कथा है।” इसके बाद कवयित्री मनीषा झा ने ‘चाय बागान’, ‘रोजगार’, ‘देवता बूढ़े नहीं होते’, ‘पिटारी’, चाहत अन्वी ने ‘हामिद’, ‘धरती का गर्भपात’, ‘डिलीवरी बॉय’, ‘आँटे की लोइया और रोटी’ तथा विहाग वैभव ने ‘माँ मुझसे नहीं बनेगी कविता’, ‘सभ्यता संवाद’, ‘खुदाई’ जैसी कविताओं का पाठ किया। इन रचनाओं में प्रेम, प्रकृति और समकालीन जीवन की विडंबनाएँ प्रमुख रहीं।
संवाद सत्र में राजेश मिश्रा, प्रियंका परमार, अजय पोद्दार, जितेंद्र जितांशु, दीपक कुमार, कालू तामंग, फरहान अज़ीज़, संजना जायसवाल और आशुतोष राउत ने कवियों से प्रश्न किए। इस दौरान चाहत अन्वी ने कहा, “कविताएँ हमारे जीवन की घटनाओं और अनुभवों का कोलाज हैं।” विहाग वैभव ने कविता को दुःख, अभाव और हाशिये के समाज का स्वर बताया। मनीषा झा ने कहा, “कविता में अनुभव और संवेदना के मिलन से विस्तार मिलता है।”
कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए भाषा परिषद के निदेशक डॉ. शंभुनाथ ने कहा, “कविता हमें साथ-साथ जीना सिखाती है, असहमति से जन्म लेती है और मनुष्यता का आख्यान है।”
मॉडरेटर डॉ. संजय जायसवाल ने साहित्य संवाद को “रचना, पाठक और सामाजिकता का त्रिकोणीय संबंध” बताया।
इस अवसर पर सुषमा कुमारी, प्रभाकर साव, स्वीटी कुमारी महतो और अपराजिता बाल्मीकि ने काव्यपाठ किया।
कार्यक्रम में महेश जायसवाल, सुरेश शॉ, पद्माकर व्यास, प्रो. विभा कुमारी, राज्यवर्द्धन, अल्पना नायक, जीवन सिंह, संजय राय, विकास साव, संजय दास, आदित्य गिरि, सुशील पांडेय, विनोद यादव, एकता मेला, रुपल साव, मनोज मिश्र, शिप्रा मिश्र, लक्खी चौधरी, कंचन भगत, सुमन शर्मा, एकता हेला, नवनीता दास, आकांक्षा आदित्य, हंस राज, ज्योति चौरसिया, कुसुम भगत, अनिल शाह सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी मौजूद रहे। धन्यवाद ज्ञापन रामनिवास द्विवेदी ने किया।
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