भक्ति: प्रेम और मानवता का संदेश | भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता

भारतीय भाषा परिषद में ‘भक्ति रस’ पर हुए व्याख्यान और संगीत संध्या में विद्वानों ने कहा, भक्ति केवल धार्मिक कर्म नहीं, यह प्रेम, करुणा और मानवता की दिशा में आंदोलन है। दर्शन हिंडोचा के गायन ने श्रोताओं को भावविभोर किया।

Nov 1, 2025 - 19:39
Nov 1, 2025 - 19:39
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भक्ति: प्रेम और मानवता का संदेश | भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता
मंच पर उपस्थित विद्वत-जन

कोलकाता, 1 नवंबर। भारतीय भाषा परिषद के सभागार में ‘भक्ति रस’ पर एक प्रेरक व्याख्यान और संगीत संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए परिषद के कार्यकारिणी सदस्य आशीष झुनझुनवाला ने कहा कि भक्ति, ज्ञान और कर्म एक-दूसरे के पूरक हैं; एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती।”

अध्यक्षीय वक्तव्य में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि भक्ति केवल धार्मिकता नहीं, बल्कि एक भावात्मक चेतना है जो मनुष्य को प्रेम और करुणा के मार्ग पर ले जाती है। उन्होंने कहा, भक्ति रस वस्तुतः अभिन्नता का रस है, जो ईश्वर और भक्त के बीच भेद मिटा देता है।”

प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वेद रमण ने भक्ति की साधना के मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक आयामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सच्चे भक्त निरहंकारी और निरभिमानी होते हैं। उनके अनुसार, भक्ति आंदोलन ने भारतीय समाज में समानता और मानवीयता की भावना को जन्म दिया, भक्ति हिंदू धर्म में मानवता के लिए एक बड़ा आंदोलन है।”

वेदांता इंस्टीट्यूट के ट्रस्टी राममस्वामी लक्ष्मणन ने कहा कि भक्ति ऐसी भावना है जिसे शब्दों में बांधना कठिन है। उन्होंने कहा, शरणागति ही भक्त की सबसे बड़ी शक्ति है, जब व्यक्ति स्वयं को ईश्वर के प्रति समर्पित कर देता है, वही सच्ची भक्ति है।”

संगीत संध्या में प्रसिद्ध संगीतज्ञ दर्शन हिंडोचा ने अष्टछाप कवियों सूरदास, नंददास, परमानंददास आदि की रचनाओं का सुमधुर गायन किया। उनकी प्रस्तुति पर श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे और सभागार भावविभोर वातावरण से भर गया।

कार्यक्रम का संचालन संजय जायसवाल ने किया। उन्होंने कहा कि भक्ति साहित्य पर चर्चा आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि यह मनुष्य को भीतर से जोड़ने की प्रेरणा देता है।”
अंत में परिषद के वित्त सचिव घनश्याम सुगला ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस आयोजन ने न केवल भक्ति के धार्मिक पक्ष को उजागर किया बल्कि यह भी बताया कि भक्ति आंदोलन ने भारतीय समाज में समानता, प्रेम और करुणा के मूल्यों को स्थापित करने में कितनी बड़ी भूमिका निभाई।

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