‘मैं किसी सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानूँगा’, SHO की दबंगई पर भड़का सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में SHO द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर अदालत ने लगाई कड़ी फटकार। कहा, न्याय की गरिमा को ठेस पहुँचाने वालों से सख्ती से निपटना होगा। अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी।

Nov 1, 2025 - 20:59
Nov 1, 2025 - 20:59
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‘मैं किसी सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानूँगा’, SHO की दबंगई पर भड़का सुप्रीम कोर्ट
सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कंधई थाने के एसएचओ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम अवहेलना की और याचिकाकर्ता के साथ अभद्रता की थी। अदालत की अवमानना के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ऐसा आचरण न्याय की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। कोर्ट ने यूपी सरकार को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को तय की।

क्या है मामला?

नई दिल्ली, 1 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कंधई थाने के एसएचओ गुलाब सिंह सोनकर को कड़ी फटकार लगाई है। मामला अदालत की अवमानना (Contempt of Court) से जुड़ा है। दरअसल, 28 मार्च 2025 को एक याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आदेश की प्रति लेकर एसएचओ से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने आदेश को मानने से इनकार करते हुए कथित तौर पर कहा, मैं किसी सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानूँगा, मैं तुम्हारा सारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आज निकलवा दूँगा।”

एसएचओ ने न केवल कोर्ट आदेश की अनदेखी की, बल्कि याचिकाकर्ता से अभद्रता करते हुए उसे थाने में घसीटा और गिरफ्तार भी कर लिया। यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के विपरीत थी।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए यूपी सरकार और गृह विभाग को कड़ी टिप्पणी की।

न्याय की गरिमा पर कोई समझौता नहीं

कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में ऐसा प्रतीत होता है कि एसएचओ ने जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना की है। ऐसे मामलों से सख्ती से निपटना आवश्यक है, ताकि न्याय प्रणाली की मर्यादा बनी रहे।”

सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व आदेश

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य गृह विभाग को एडीजीपी रैंक के अधिकारी से मामले की जाँच कराने के निर्देश दिए थे। सरकार की ओर से उपस्थित वकील ने अदालत को बताया कि जाँच रिपोर्ट मिलने के बाद एसएचओ के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मामले की अगली सुनवाई

कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को निर्धारित की है।

यह मामला न केवल पुलिस अनुशासन की सीमाओं को रेखांकित करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि अदालतों के आदेश की अवहेलना को सुप्रीम कोर्ट किसी भी स्तर पर सहन नहीं करेगा। न्यायपालिका ने स्पष्ट संदेश दिया है कि “कानून से ऊपर कोई नहीं।”

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I