पूर्णिया में दिल दहलाने वाली वारदात: एक ही परिवार के 5 लोगों की पीट-पीटकर हत्या, भीड़ ने किया ज़िंदा आग के हवाले
बिहार के पूर्णिया ज़िले से एक बेहद भयावह और दर्दनाक घटना सामने आई है, जहाँ एक ही परिवार के 5 सदस्यों की भीड़ ने पहले पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी और फिर जिंदा जला दिया। घटना में करीब 250 लोगों की भीड़ शामिल थी। प्रशासनिक लापरवाही, कानून-व्यवस्था पर सवाल और न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार करती भीड़तंत्र की यह घटना पूरे राज्य को झकझोर देने वाली है।

पूर्णिया, बिहार | 6 जुलाई 2025 : पूर्णिया के मुफस्सिल थाना के रजीगंज पंचायत के टेटगमा में एक दिल दहला देने वाली वारदात में एक ही परिवार के पाँच लोगों को पीट-पीटकर मार डाला गया, और फिर उनके शवों को भीड़ द्वारा आग के हवाले कर दिया गया। यह घटना तब हुई, जब ग्रामीणों की एक बड़ी भीड़ कथित तौर पर 250 से अधिक लोगों ने परिवार को घर से घसीटकर बाहर निकाला और लाठी-डंडों से हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि हत्या अंधविश्वास के चक्कर में हुई है।
घटना मुफस्सिल थाना के रजीगंज पंचायत के टेटगमा की है। यहाँ कथित तौर पर डायन बताकर 5 लोगों की हत्या कर दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, इतना ही नहीं, इसके बाद भीड़ ने शवों को गायब कर दिया। पुलिस मामले की जाँच में जुटी हुई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मौके पर पुलिस अधीक्षक, सहायक पुलिस अधीक्षक समेत कई थानों की पुलिस घटनास्थल पर मौजूद हैं।
मारे गए लोगों की पहचान:
पुलिस द्वारा पुष्टि की गई जानकारी के अनुसार, मारे गए सभी लोग एक ही परिवार के सदस्य थे, जिसमें पति-पत्नी, दो बेटे और एक बहू शामिल हैं।
प्रशासनिक स्थिति:
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक, सहायक पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुँचे।
क्षेत्र में भारी तनाव को देखते हुए कई थानों की पुलिस को घटनास्थल पर रखा गया है।
20 से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
पीड़ित परिवार की ओर से कोई पूर्व FIR या सुरक्षा याचिका दर्ज नहीं कराई गई थी।
मुख्यमंत्री का बयान:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि "भीड़तंत्र को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
मानवाधिकार और कानून-व्यवस्था पर सवाल:
यह घटना भीड़ द्वारा की गई न्यायिक हत्या (Mob Lynching) का वीभत्स उदाहरण बन गई है। यह न केवल बिहार में कानून-व्यवस्था की विफलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी प्रश्न उठाती है कि सामाजिक न्याय की जगह भीड़-न्याय कैसे स्थापित हो रहा है?
पूर्णिया की यह घटना भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे और न्याय व्यवस्था पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न है। यह आवश्यक है कि दोषियों को शीघ्रता से गिरफ्तार कर, न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत दंडित किया जाए, और भीड़ हिंसा के विरुद्ध सख्त कानून और जनजागरूकता का अभियान चलाया जाए।
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