‘रंगीला रे’ की रंगीनी: जब देवानंद का वादा बना गीतकार नीरज की जीत

यह संस्मरण हिंदी फिल्म संगीत के स्वर्णिम युग की उस अनकही कहानी को सामने लाता है, जब अभिनेता देवानंद ने कवि नीरज को एक कवि सम्मेलन में सुना और वादा किया कि वे भविष्य में साथ काम करेंगे। वर्षों बाद, जब देवानंद 'प्रेम पुजारी' बना रहे थे, तो नीरज जी ने उन्हें वादा याद दिलाया। देवानंद ने न सिर्फ उन्हें बुलाया, बल्कि प्रसिद्ध संगीतकार एस.डी. बर्मन से मिलवाया, जिन्होंने नीरज को एक कठिन चुनौती दी - एक ऐसा गीत लिखना जिसमें केवल हिंदी शब्द हों, न कि उर्दू या किसी और भाषा के। नीरज ने इस चुनौती को स्वीकार किया और ‘रंगीला रे रंगीला रे’ जैसा शुद्ध हिंदी गीत रचा, जो आज भी एक मास्टरपीस माना जाता है। बाद में खुद बर्मन दा ने स्वीकार किया कि उन्होंने नीरज को फेल करने के लिए धुन दी थी, लेकिन नीरज ने उन्हें ही फेल कर दिया। यह प्रसंग न केवल दो दिग्गजों की रचनात्मकता का मिलन है, बल्कि भाषा की शक्ति और आत्मविश्वास की जीत की कहानी भी है।

Jul 7, 2025 - 18:12
Jul 7, 2025 - 20:25
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‘रंगीला रे’ की रंगीनी: जब देवानंद का वादा बना गीतकार नीरज की जीत
देवानंद का वादा बना गीतकार नीरज की जीत

अभिनेता देवानंद ने पहली बार कवि गोपालदास ‘नीरज’ को बंबई में एक कवि सम्मेलन में सुना। नीरज जी की हिंदी बोलने की शैली ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि देवानंद ने वहीं कह दिया - "मुझे आपकी हिंदी भाषा बोलने की शैली बहुत पसंद आई, हम किसी दिन साथ काम करेंगे।"

वर्षों बाद, 60 के दशक के उत्तरार्ध में, जब नीरज जी को पता चला कि देवानंद 'प्रेम पुजारी' नाम की फिल्म बना रहे हैं, उन्होंने उन्हें एक पत्र लिखा और उनका वह वादा याद दिलाया। देवानंद ने भी वादे को निभाया - नीरज जी को बंबई बुलाया, उन्हें ₹1000 अग्रिम दिए, और सीधे उन्हें ले गए संगीतकार एस.डी. बर्मन के पास।

बर्मन दा ने नीरज जी से कहा:

"मैं एक ऐसा गीत चाहता हूँ जो ‘रंगीला’ शब्द से शुरू हो, और जिसमें हिंदी के अलावा कोई भी अन्य भाषा का शब्द न हो।"

यह एक कठिन चुनौती थी, क्योंकि उस दौर में उर्दू के शब्दों के बिना कोई गीत बनाना लगभग असंभव माना जाता था। लेकिन नीरज ने इसे एक अवसर की तरह लिया। उन्होंने पूरी तरह हिंदी में गीत रचकर साबित किया कि भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए उर्दू की ज़रूरत नहीं।

‘रंगीला रे रंगीला रे...’

गीत फिल्माया गया वहीदा रहमान पर, जिन्होंने सफ़ेद फूलों की बॉर्डर वाली साड़ी में मनमोहक नृत्य किया। यह गीत आज भी हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक शुद्ध हिंदी गीत की मिसाल के रूप में याद किया जाता है।

बाद में एक साक्षात्कार में नीरज जी ने बताया कि बर्मन दा ने उनसे कहा:

"मैंने तुम्हें फेल करने के लिए एक कठिन धुन दी थी, लेकिन तुमने तो मुझे ही फेल कर दिया।"

यह गीत सिर्फ एक संगीत रचना नहीं, बल्कि भाषा, आत्मविश्वास और रचनात्मकता की विजय गाथा है।

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