हिंदी की वैश्विक पत्रकारिता : विविध आयाम’ कार्यक्रम में 27 देशों की पत्रकारिता पर ऐतिहासिक शोध प्रस्तुत

16 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह - 2025 के अंतर्गत आयोजित ‘हिंदी की वैश्विक पत्रकारिता : विविध आयाम’ कार्यक्रम ने वैश्विक हिंदी पत्रकारिता के प्रभाव, चुनौतियों और अवसरों पर ऐतिहासिक विमर्श प्रस्तुत किया। इस संवाद का आयोजन न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन और अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में हुआ, जिसमें भारत सहित मॉरीशस, थाईलैंड, अमेरिका, मलेशिया, कतर, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया समेत अनेक देशों से हिंदीप्रेमियों, पत्रकारों, शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने भागीदारी की।

Jun 17, 2025 - 17:50
Jun 17, 2025 - 18:41
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हिंदी की वैश्विक पत्रकारिता : विविध आयाम’ कार्यक्रम में 27 देशों की पत्रकारिता पर ऐतिहासिक शोध प्रस्तुत
कार्यक्रम में अनेक देशों से आभासीय मंच पर जुड़े वक्तागण

16 जून 2025 |  अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह-2025 के अंतर्गत आयोजित भव्य संवादमूलक कार्यक्रम ‘हिंदी की वैश्विक पत्रकारिता : विविध आयाम’ ने हिंदी पत्रकारिता की ऐतिहासिक यात्रा और उसके वैश्विक स्वरूप पर गंभीर विमर्श प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का आयोजन न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसमें भारत सहित मॉरीशस, थाईलैंड, मलेशिया, अमेरिका, यूरोप, कतर और ऑस्ट्रेलिया के हिंदी प्रेमियों, पत्रकारों, शोधार्थियों और शिक्षकों ने भागीदारी की। कार्यक्रम का उद्देश्य हिंदी पत्रकारिता के वैश्विक प्रभाव, चुनौतियों और सांस्कृतिक दायित्वों पर विचार-विमर्श करना था। यह संवाद पत्रकारिता की 200 वर्षों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव सिद्ध हुआ।

हिंदी पत्रकारिता की वैश्विक यात्रा पर शोधपूर्ण प्रस्तुति

मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित डॉ. जवाहर कर्नावट (निदेशक, अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र, रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल) ने हिंदी पत्रकारिता के वैश्विक आयामों, विशेषकर प्रवासी पत्रकारिता पर गहन शोध प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि विदेशों में 1883 से हिंदी पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रवासी पत्र-पत्रिकाओं ने सशक्त भूमिका निभाई। डॉ. कर्नावट ने 27 देशों में हिंदी पत्रकारिता से जुड़े अभिलेखागारों में किए गए अपने शोध अनुभवों को साझा किया और बताया कि कई पत्रिकाएँ हाथ से लिखकर प्रकाशित की जाती थीं।

तकनीकी, सांस्कृतिक और व्यावसायिक पहलुओं पर चर्चा

कार्यक्रम के संचालक एवं सह-वक्ता डॉ. शैलेश शुक्ला (वैश्विक प्रधान संपादक, सृजन संसार) ने वैश्विक पत्रकारिता के तकनीकी, व्यावसायिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए हिंदी पत्रकारिता को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित करने की रणनीति प्रस्तुत की। उन्होंने प्रवासी भारतीय समुदाय में हिंदी मीडिया के योगदान को रेखांकित करते हुए डिजिटल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रभाव पर भी विचार रखे।

महत्वपूर्ण विषय और बहस

संवाद के दौरान हिंदी पत्रकारिता की सांस्कृतिक जिम्मेदारी, न्यू मीडिया और तकनीकी प्रभाव, हिंदी बनाम अन्य भारतीय भाषाएं, और प्रवासी भारतीय समाज में हिंदी पत्रकारिता की भूमिका जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। सभी वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि हिंदी पत्रकारिता अब केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक संवाद, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक समरसता का प्रमुख साधन बन चुकी है।

सक्रिय संयोजन और सहभागिता

कार्यक्रम की मुख्य संयोजक रहीं श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला (संस्थापक-निदेशक, न्यू मीडिया सृजन संसार एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन)। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. शैलेश शुक्ला ने हिंदी पत्रकारिता को ‘वाणी के स्तर से नीति के स्तर तक’ पहुँचाने की आवश्यकता बताई।

राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉ. कल्पना लालजी, प्रो. विनोद कुमार मिश्रा, प्रो. आशा शुक्ला सहित अनेक विशेषज्ञों और विद्वानों की सक्रिय भूमिका रही।

अंतरराष्ट्रीय सहभागिता और सकारात्मक प्रतिक्रिया

कार्यक्रम में भारत, मॉरीशस, थाईलैंड, मलेशिया, अमेरिका, यूरोप, कतर, ऑस्ट्रेलिया सहित अनेक देशों के हिंदीप्रेमी, पत्रकार, शिक्षक और विद्यार्थी ऑनलाइन जुड़े। सोशल मीडिया, टेलीग्राम व व्हाट्सऐप ग्रुप्स के माध्यम से सैकड़ों लोगों तक इसकी पहुँच बनी।

कार्यक्रम के अंत में यह निर्णय हुआ कि इस तरह के संवादों को नियमित रूप से आयोजित किया जाएगा, ताकि हिंदी पत्रकारिता को वैश्विक मंच पर मजबूत और प्रभावशाली बनाया जा सके। यह आयोजन ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष – 2025-26’ की दिशा निर्धारित करने वाला प्रेरक बिंदु सिद्ध हुआ।

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