भारत में 16वीं जनगणना और जातिगत गणना की अधिसूचना जारी, दो चरणों में 2027 तक होगी पूरी
केंद्र सरकार ने 16वीं जनगणना और पहली बार व्यापक जातिगत गणना के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। यह प्रक्रिया दो चरणों में 2027 तक पूरी होगी। हिमालयी और बर्फीले क्षेत्रों में 1 अक्तूबर 2026 से और देश के बाकी हिस्सों में 1 मार्च 2027 से जनगणना शुरू होगी। इस बार पहली बार डिजिटल माध्यम से जातिगत आंकड़े भी जुटाए जाएँगे, जिससे सामाजिकआर्थिक योजनाओं, राजनीतिक परिसीमन और आरक्षण नीति को नई दिशा मिलेगी।

केंद्र सरकार ने 16वीं जनगणना और जातिगत गणना के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। यह प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी, पहला चरण हिमालयी और बर्फीले क्षेत्रों में 1 अक्तूबर 2026 से, जबकि देश के अन्य हिस्सों में 1 मार्च 2027 से शुरू होगा। इस बार पहली बार जातिगत आंकड़े भी जुटाए जाएँगे, जिससे सामाजिक योजनाओं और निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन में मदद मिलेगी। करीब 34 लाख कर्मचारी और 1.3 लाख अधिकारी इस कार्य में शामिल होंगे। डेटा डिजिटल रूप से 16 भाषाओं में एकत्र किया जाएगा। जनगणना का प्राथमिक डेटा मार्च 2027 में और विस्तृत डेटा दिसंबर 2027 तक जारी होगा।
प्रमुख तथ्य और प्रक्रिया
1. दो चरणों में जनगणना
पहला चरण:
लद्दाख, जम्मूकश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हिमालयी और बर्फीले क्षेत्रों में 1 अक्तूबर 2026 से जनगणना शुरू होगी। इन क्षेत्रों में मौसम की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
दूसरा चरण:
देश के अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1 मार्च 2027 से जनगणना होगी। इस तिथि को मध्यरात्रि 00:00 बजे संदर्भ तिथि माना जाएगा।
2. प्रक्रिया के दो मुख्य फेज
हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO):
इस चरण में हर घर की भौतिक स्थिति, संपत्ति, सुविधाएँ और बुनियादी ढाँचे की जानकारी एकत्र की जाएगी।
जनसंख्या गणना:
इसमें प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरणों के साथसाथ जाति संबंधी जानकारी भी एकत्र की जाएगी।
3. डिजिटल और सुरक्षित जनगणना
पहली बार पूरी प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से होगी। मोबाइल ऐप और रियल टाइम मॉनिटरिंग का इस्तेमाल होगा।
नागरिकों को स्वयं गणना (Selfenumeration) की सुविधा भी मिलेगी।
डेटा की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाएँगे।
4. जातिगत गणना का महत्व
1931 के बाद पहली बार सभी समुदायों के लिए जाति डेटा एकत्र किया जाएगा।
इससे सामाजिकआर्थिक योजनाओं, आरक्षण नीति, और चुनावी परिसीमन में पारदर्शिता और सटीकता आएगी।
यह डेटा सामाजिक न्याय और कल्याणकारी योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
5. संसाधन और लागत
लगभग 34 लाख गणनाकर्ता और पर्यवेक्षक तथा 1.3 लाख अधिकारी इस कार्य में शामिल होंगे।
सरकार द्वारा अनुमानित खर्च करीब 13,000 करोड़ रुपये है।
6. परिसीमन और महिला आरक्षण
जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों के नए परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी।
इसके बाद संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान लागू किया जाएगा।
7. प्रश्नावली और भाषाएँ
जनगणना प्रश्नावली में नाम, उम्र, लिंग, जन्मतिथि, घर के मुखिया, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, धर्म, जाति, विकलांगता, रोजगार, आवासीय स्थिति जैसे 36 सवाल शामिल होंगे[1][6].
डेटा 16 भाषाओं में एकत्र किया जाएगा, जिसमें हिंदी, अंग्रेज़ी और 14 क्षेत्रीय भाषाएँ होंगी[6].
महत्वपूर्ण प्रभाव
राजनीतिक:
जातिगत आंकड़ों के आने से सामाजिकराजनीतिक समीकरणों और नीतियों में बड़ा बदलाव आ सकता है।
सामाजिक:
योजनाओं का लाभ सही वर्ग तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
आर्थिक:
आधारभूत ढाँचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं की बेहतर प्लानिंग संभव होगी।
भारत की 16वीं जनगणना और पहली बार व्यापक जातिगत गणना 2027 में दो चरणों में पूरी होगी। डिजिटल और सुरक्षित प्रक्रिया के साथ, यह जनगणना देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दिशा तय करने में मील का पत्थर साबित होगी।
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