दिल्ली पुलिस हिरासत में मौत: मजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज करने का दिया आदेश, चोट के निशान और CCTV की जाँच होगी
दिल्ली के रोहिणी कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस हिरासत में शेख शहादत की संदिग्ध मौत के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। मृतक की पत्नी सेतारा बीबी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध प्रतीत होता है, जिसकी निष्पक्ष जाँच जरूरी है। कोर्ट ने शव पर चोट के निशान, उपलब्ध तस्वीरों, वीडियो फुटेज और CCTV रिकॉर्डिंग को महत्वपूर्ण मानते हुए जाँच के आदेश दिए। अब संबंधित थाना प्रभारी को एफआईआर दर्ज कर 28 जून तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी होगी।

दिल्ली की रोहिणी कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) वसुंधरा छौंकर ने दिल्ली पुलिस की हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश मृतक शेख शहादत की पत्नी सेतारा बीबी द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत दाखिल अर्जी पर दिया गया, जिसमें उन्होंने 22/23 जुलाई 2023 की रात अपने पति की हिरासत में हुई संदिग्ध मौत की जाँच की माँग की थी।
कोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया एक संज्ञेय अपराध हुआ है और इस मामले की गहन जाँच जरूरी है। कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत तस्वीरों और वीडियो फुटेज से स्पष्ट हुआ कि मृतक के शरीर पर विशेषकर पीठ और निचले हिस्से पर गंभीर चोटों के निशान थे। मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा कि CCTV फुटेज की उपलब्धता और उसे संरक्षित करने के लिए किए गए प्रयासों की भी जाँच जरूरी है।
सेतारा बीबी ने आरोप लगाया कि 21 जुलाई 2023 को जब उनका पति और अन्य चार लोग नेताजी सुभाष प्लेस पर अपनी कार से उतर रहे थे, तब पुलिस ने बिना किसी वजह के उन्हें रोककर पूछताछ शुरू कर दी। जब शेख शहादत ने विरोध किया तो पुलिसकर्मी आक्रामक हो गए और पाँचों को जबरन थाने ले गए। अगले दिन, उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर दी गई। 23 जुलाई को सूचना मिली कि शेख शहादत अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन जब परिवार अस्पताल पहुंचा, तो शव मोर्चरी में रखा मिला। शव पर गंभीर चोटों और सूजन के निशान मौजूद थे।
हालाँकि, जाँच रिपोर्ट में मौत का कारण हत्या या आत्महत्या नहीं बताया गया है, मगर कोर्ट ने कहा कि महज इस रिपोर्ट के आधार पर मामला खारिज नहीं किया जा सकता। मजिस्ट्रेट ने कहा कि न्यायहित में विस्तृत जाँच जरूरी है ताकि पूरे घटनाक्रम का सच सामने आ सके।
कोर्ट ने संबंधित एसएचओ को निर्देश दिया कि वह तत्काल एफआईआर दर्ज करें और आगामी 28 जून तक इसकी अनुपालन रिपोर्ट पेश करें। इस मामले में आवेदक सेतारा बीबी की ओर से अधिवक्ताओं दुष्यंत कुमार, मंगला वर्मा, संजना श्रीकुमार, जोइसी और हमजा तारिक ने पक्ष रखा। मुख्य बहस अधिवक्ता संजना श्रीकुमार ने की।
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