दिव्यांगता को दी मात: वाराणसी की सुमेधा पाठक ने वर्ल्ड पैरा शूटिंग में रच दिया इतिहास
काशी की दिव्यांग शूटर सुमेधा पाठक ने दक्षिण कोरिया के चांगवोन में आयोजित वर्ल्ड पैरा शूटिंग वर्ल्डकप में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भारतीय महिला टीम को रजत पदक दिलाकर देश और बनारस का गौरव बढ़ाया। 15 वर्ष की उम्र में रीढ़ की हड्डी के संक्रमण से दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद सुमेधा ने अपने पिता के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं। उन्हें लक्ष्मीबाई अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भारतीय टीम को दिलाया रजत, देश-विदेश में चमकाया भारत का नाम
काशी की होनहार दिव्यांग शूटर सुमेधा पाठक ने दक्षिण कोरिया के चांगवोन में आयोजित वर्ल्ड पैरा स्पोर्ट्स शूटिंग वर्ल्डकप में दस मीटर एयर राइफल इवेंट में रजत पदक जीतकर भारत और बनारस का नाम रोशन किया है। दोनों पैरों से दिव्यांग सुमेधा ने 15 वर्ष की उम्र में रीढ़ की हड्डी में संक्रमण के कारण चलना छोड़ दिया था, लेकिन उनके पिता बृजेश चन्द्र पाठक ने अपना व्यवसाय छोड़कर बेटी के सपनों को पंख दिए। सुमेधा अब तक कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत को गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक दिला चुकी हैं। उन्हें 'लक्ष्मीबाई अवार्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
मुख्य तथ्य:
✅ नाम: सुमेधा पाठक
✅ शहर: वाराणसी (काशी), उत्तर प्रदेश
✅ आयु में विकलांगता: 15 वर्ष की उम्र में रीढ़ की हड्डी के संक्रमण से
✅ सपोर्ट सिस्टम: पिता बृजेश चंद्र पाठक, प्रसिद्ध दवा व्यवसायी
✅ स्पर्धा: वर्ल्ड पैरा स्पोर्ट्स शूटिंग वर्ल्डकप, चांगवोन, साउथ कोरिया
✅ इवेंट: 10 मीटर एयर राइफल (महिला टीम)
✅ उपलब्धि: रजत पदक (टीम इंडिया को दिलाया)
✅ सम्मान: लक्ष्मीबाई पुरस्कार (उत्तर प्रदेश सरकार)
✅ कुल अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ: कई स्वर्ण, रजत, कांस्य पदक
बयान:
“मेरे लिए राइफल सिर्फ हथियार नहीं, यह आत्मविश्वास का प्रतीक है। मेरा यह पदक, मैं हर उस बेटी को समर्पित करती हूँ, जिसे लोग कमजोर समझते हैं।” - सुमेधा पाठक, पैरा शूटर
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