लेडी टार्ज़न जमुना टुडू की प्रेरणादायक कहानी | Padma Shri Jamuna Tudu
झारखंड की जमुना टुडू, जिन्होंने 1998 से जंगलों को माफिया से बचाने की जंग लड़ी। पद्मश्री सम्मानित ‘लेडी टार्ज़न’ की यह कहानी बताएगी कैसे एक महिला ने अकेले पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया।
झारखंड की साधारण सी महिला जमुना टुडू ने असाधारण साहस दिखाया। उन्होंने 1998 से लेकर आज तक जंगलों को माफिया और अवैध कटाई से बचाने की लड़ाई लड़ी। अपने गाँव की महिलाओं को संगठित कर उन्होंने ‘वृक्ष रक्षा दल’ बनाया, जो आज सैकड़ों एकड़ हरियाली की रक्षा कर रहा है। पेड़ों को राखी बाँधने वाली यह महिला न सिर्फ पर्यावरण की प्रहरी बनी, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी। उनकी इसी जुझारू भावना के लिए उन्हें ‘लेडी टार्ज़न’, ‘वन देवी’, ‘वन माता’ कहा गया और पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा गया।
झारखंड के चकुलिया ब्लॉक के छोटे से गाँव मुटुरखा की रहने वाली जमुना टुडू का जीवन एक उदाहरण है कि अगर इच्छाशक्ति अडिग हो, तो कोई भी साधारण इंसान असाधारण बदलाव ला सकता है। 1998 में जब उन्होंने अपने इलाके में अवैध रूप से पेड़ कटते देखे, तो मन में आग जल उठी। उन्होंने अकेले ही जंगल माफिया के खिलाफ मोर्चा खोला। धमकियाँ मिलीं, रास्ते रोके गए, यहाँ तक कि जान लेने की कोशिशें भी हुईं। लेकिन जमुना नहीं डरीं। उन्होंने गाँव की महिलाओं को एकत्र किया और बनाया ‘वन सुरक्षा समिति’। हर घर की महिलाओं ने पेड़ों को ‘भाई’ मानकर राखी बाँधी, संदेश साफ़ था, “भाई की तरह पेड़ों की रक्षा करेंगे।” धीरे-धीरे उनकी पहल एक आंदोलन में बदल गई। उन्होंने न केवल पेड़ों को बचाया, बल्कि ग्रामीणों को समझाया कि जंगल सिर्फ लकड़ी का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन का आधार हैं। उनकी कोशिशों से आज उनके क्षेत्र में हजारों पेड़ सुरक्षित हैं, और स्थानीय लोग भी पर्यावरण के महत्व को समझने लगे हैं। जमुना की प्रेरणा से सैकड़ों महिलाएँ आज वन संरक्षण की योद्धा बन चुकी हैं। उनके संघर्ष और समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2019 में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया। आज जमुना टुडू को देश ही नहीं, दुनिया ‘लेडी टार्ज़न’ के नाम से जानती है, एक ऐसी महिला जिसने अपने साहस से जंगलों को फिर से हरा-भरा कर दिया।
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