सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सहमति के बिना नार्को टेस्ट असंवैधानिक, पटना हाईकोर्ट का आदेश रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पटना हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें आरोपियों की सहमति के बिना उन पर नार्को-एनालिसिस टेस्ट की अनुमति दी गई थी [अमलेश कुमार बनाम बिहार राज्य]।

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट द्वारा आरोपी पर जबरन नार्को-एनालिसिस टेस्ट की अनुमति देने वाले आदेश को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आरोपी की सहमति के बिना ऐसे परीक्षण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और जमानत की सुनवाई के दौरान भी इनकी अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 20(3) और 21 का उल्लंघन किया है और यह 'सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य' में स्थापित कानून के विपरीत है। न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि स्वैच्छिक नार्को टेस्ट भी दोषसिद्धि का आधार नहीं हो सकते। अब आरोपी अमलेश कुमार की जमानत याचिका पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई होगी।
मुख्य बिंदु:
सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट का आदेश खारिज किया।
जबरन नार्को-एनालिसिस टेस्ट को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।
अनुच्छेद 20(3) और 21 के उल्लंघन का हवाला।
सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य (2010) में दिए गए दिशा-निर्देशों की पुनः पुष्टि।
नार्को टेस्ट जमानत प्रक्रिया में 'शॉर्टकट' नहीं हो सकता।
न्यायालय ने कहा: जमानत अदालत 'मिनी ट्रायल कोर्ट' नहीं बन सकती।
आरोपी की जमानत याचिका पर अब विधिसम्मत विचार होगा।
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