हिंदी दिवस 2025: खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में साहित्य और संस्कृति का संगम

कोलकाता के खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने गीत, कविता पाठ और भाषणों के माध्यम से हिंदी की सांस्कृतिक महत्ता को उजागर किया।

Sep 18, 2025 - 22:49
Sep 18, 2025 - 22:57
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हिंदी दिवस 2025: खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में साहित्य और संस्कृति का संगम
प्रतिभागी एवं प्राध्यापक

हिंदी दिवस 2025: खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में साहित्य और संस्कृति का संगम

कोलकाता, 18 सितंबर: कोलकाता की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में छात्रों और प्राध्यापकों ने मिलकर हिंदी भाषा के गौरव, उसकी साहित्यिक परंपरा और राष्ट्र निर्माण में उसके योगदान को स्मरण किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विभाग की छात्राओं सोहानी भगत एवं चांदनी प्रसाद द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत से हुआ, जिसने पूरे वातावरण को भावमय बना दिया।

हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने हिंदी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, "हिंदी केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम की भाषा नहीं, बल्कि राष्ट्र की पहचान की भाषा है। इसने देश की एकता और अखंडता को परिभाषित किया है।"

छात्रा रीमा सिंह ने हिंदी भाषा के सामाजिक और व्यावहारिक महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। इसके पश्चात कैकेषा तब्बसुम और कुसुम कहार ने प्रसिद्ध लेखक उदय प्रकाश की कविता "एक भाषा हुआ करती है" का पाठ किया, जो श्रोताओं को गहरे तक प्रभावित कर गया।

डॉ. पुष्पा मल्ल ने अपने वक्तव्य में चिंता जताते हुए कहा कि "हिंदी को केवल बाजार की भाषा बनाकर नहीं छोड़ा जाना चाहिए, बल्कि इसे सृजनात्मकता और नवाचार से जोड़ा जाना चाहिए।" इसके बाद चंदन रजक ने केदारनाथ सिंह की प्रसिद्ध कविता "मातृभाषा" का सजीव पाठ किया।

कार्यक्रम में छात्रों अभिषेक झा और आकाश मेहता ने अपनी स्वरचित कविताएं प्रस्तुत कीं, जिनमें समकालीन मुद्दों के साथ-साथ हिंदी के प्रति प्रेम झलकता था।

इस पूरे कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. मधु सिंह ने किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, "हिंदी भारत की संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रीय एकता की सशक्त संवाहक है। यह एक ऐसी भाषा है जो सभी भारतीय भाषाओं को साथ लेकर चलती है।"

कार्यक्रम को सफल बनाने में छात्रों सारिका हेला, सुमन महतो, अमृता महतो, विवेक साव, अनीषा पंडित, पायल प्रसाद, संगीता बेरा, रानी साव, अनुष्का महतो, चांदनी प्रसाद, सोहानी भगत और कुसुम कहार का विशेष सहयोग रहाकार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन रुकसाना खातून ने किया।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I