"केवल जागरूकता ही थैलेसीमिया को रोक सकती है" - खड़गपुर में थैलेसीमिया वाहक पहचान शिविर आयोजित
खड़गपुर में थैलेसीमिया जागरूकता और वाहक पहचान को लेकर एक महत्वपूर्ण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें 300 से अधिक छात्रों की जांच की गई। यह शिविर जंगलमहल उद्योग, थैलेसीमिया प्रीवेंशन सोसाइटी और इंस्टीट्यूट फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस के संयुक्त प्रयास से संपन्न हुआ। वक्ताओं ने विवाह पूर्व जांच और शैक्षणिक स्तर पर परीक्षण को अनिवार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।

खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर: थैलेसीमिया जैसी आनुवंशिक बीमारी के प्रति छात्रों और समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से जंगलमहल उद्योग (मेदिनीपुर जिला शाखा) और थैलेसीमिया प्रीवेंशन सोसाइटी के सहयोग से, इंस्टीट्यूट फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस के प्रबंधन में एक थैलेसीमिया जागरूकता और वाहक पहचान शिविर का आयोजन संस्था भवन में किया गया।
इस शिविर में लगभग 300 से अधिक छात्रों की थैलेसीमिया वाहक पहचान की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुब्रत महापात्रा (सहायक प्रधानाध्यापक, बेलेबेड़ा हाई स्कूल) ने कहा, “विवाह पूर्व थैलेसीमिया परीक्षण अनिवार्य होना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ियों को इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सके।”
सुदीप कुमार खाड़ा ने जोर देते हुए कहा, “केवल जन-जागरूकता ही थैलेसीमिया को रोकने का सबसे प्रभावी उपाय है। यदि आवश्यक हो तो इस परीक्षण को कानूनी रूप से अनिवार्य किया जाना चाहिए। साथ ही स्कूल स्तर पर कक्षा 9वीं और 11वीं के पंजीकरण से पहले थैलेसीमिया परीक्षण लागू किया जाना चाहिए।”
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजीव सेन ने इसे संस्थानों की सामाजिक जिम्मेदारी बताया और कहा कि छात्र जीवन में ही जागरूकता लाकर समाज में व्यापक बदलाव लाया जा सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कार्तिक चंद्र आचार्य (अध्यक्ष, उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं कॉलेज) ने इस पहल की सराहना करते हुए सभी सहभागी संस्थाओं का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर अन्य प्रमुख उपस्थित लोगों में प्राचार्य ननी गोपाल शीत, दीपांवती सेन खान, मनोयारा बेगम, और थैलेसीमिया प्रतिरोध समिति पश्चिम मेदिनीपुर के सदस्य भी शामिल रहे।
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