उत्तर प्रदेश पुलिस स्टेशन में दलित शिक्षक के साथ अमानवीय व्यवहार, वीडियो वायरल

उत्तर प्रदेश के एक पुलिस स्टेशन में केंद्रीय विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य और दलित समुदाय से संबंधित दुर्गा प्रसाद सोनकर के साथ कथित तौर पर अमानवीय व्यवहार किया गया। वीडियो में पुलिस अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों द्वारा सोनकर जी को थप्पड़ मारने और धक्का देने जैसा दुर्व्यवहार दिखाया गया है। यह घटना पुलिस की जाति-आधारित भेदभाव और अत्याचार की व्यापक समस्या को उजागर करती है। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो ने व्यापक नाराजगी पैदा की है, और यूपी पुलिस से तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की जा रही है।

Jun 1, 2025 - 10:53
Jun 1, 2025 - 11:52
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उत्तर प्रदेश पुलिस स्टेशन में दलित शिक्षक के साथ अमानवीय व्यवहार, वीडियो वायरल
केंद्रीय विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य और दलित समुदाय से संबंधित दुर्गा प्रसाद सोनकर को पिटती पुलिस

लखनऊ, 31 मई 2025: उत्तर प्रदेश के एक पुलिस स्टेशन में केंद्रीय विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य और दलित समुदाय से संबंधित दुर्गा प्रसाद सोनकर के साथ कथित तौर पर अमानवीय व्यवहार किया गया है। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जहाँ एक वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे पुलिस अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों द्वारा सोनकर जी के साथ शारीरिक और मानसिक रूप से दुर्व्यवहार किया जा रहा है।

वीडियो, जो 97.22 सेकंड की अवधि का है, में सोनकर जी को एक कुर्सी पर बैठे हुए दिखाया गया है, जहाँ एक व्यक्ति उन्हें थप्पड़ मारता है और उन्हें धक्का देता है। इस वीडियो ने व्यापक रूप से ध्यान आकर्षित किया है और दलित समुदाय के खिलाफ पुलिस की कथित बर्बरता और भेदभाव को उजागर किया है।

वीडियो यहाँ देखें ....

जितेंद्र वर्मा, जो इस वीडियो को साझा करने वाले हैं, ने ट्वीट में कहा, "पुलिस थाने दलितों और पिछड़ों के शोषण का केंद्र बन गए हैं। पुलिस का थाने में केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य बुजुर्ग दलित दुर्गा प्रसाद सोनकर जी के साथ ऐसा बर्ताव निश्चित ही शर्मशार करने वाला है। यूपी पुलिस इस मामले की जाँच कर आरोपी पुलिस वालों पर कड़ी कार्रवाई करें।"

इस घटना ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो पहले से ही जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव और भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही है। हाल के वर्षों में, पुलिस की कार्रवाइयों ने कई बार दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम समुदायों के खिलाफ गंभीर चिंताएँ पैदा की हैं, जिसमें प्रेम विवाह और अंतर-जातीय विवाह में हस्तक्षेप भी शामिल है।

पृष्ठभूमि और संदर्भ

उत्तर प्रदेश पुलिस, जो 1863 में स्थापित हुई थी, दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस बलों में से एक है, जिसमें लगभग 68 जिला पुलिस विभाग और सात कमिश्नरेट शामिल हैं। हालाँ कि, इसकी व्यापक इतिहास में पुलिस अत्याचार, भ्रष्टाचार और जाति-आधारित भेदभाव के कई उदाहरण सामने आए हैं। सीबीआई की एक जाँच ने पुलिस की निष्क्रियता और सबूतों के संग्रह में देरी के लिए कड़ी आलोचना की है, जिससे जाँच बिगड़ गई और पीड़ितों के परिवारों के साथ दुर्व्यवहार हुआ।

इस घटना ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत संरक्षण की माँग को फिर से जीवित कर दिया है, जो दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचारों को रोकने का उद्देश्य रखता है। हालाँकि, ऐसी घटनाएँ इस अधिनियम की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा करती हैं और पुलिस की जवाबदेही की कमी को उजागर करती हैं।

जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर, इस वीडियो ने व्यापक नाराजगी और आक्रोश पैदा किया है। कई उपयोगकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश पुलिस से तत्काल कार्रवाई की माँग की है और पीड़ित को न्याय दिलाने की अपील की है। कुछ ने इस घटना को दलित समुदाय के खिलाफ व्यवस्थागत भेदभाव का एक और उदाहरण बताया है, जबकि अन्यों ने पुलिस सुधारों की माँग की है।

अगले कदम

यूपी पुलिस से इस मामले में त्वरित और पारदर्शी जाँच की उम्मीद है। आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की जा रही है, और यह घटना पुलिस की जवाबदेही और संवेदनशीलता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पुलिस स्टेशन, जो सुरक्षा और न्याय के प्रतीक होने चाहिए, marginalized समुदायों के लिए शोषण के केंद्र बन गए हैं। यह समय है कि अधिकारियों और समाज दोनों को मिलकर इन मुद्दों को संबोधित करें और एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की ओर कदम बढ़ाएँ।

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