संपादकीय चिट्ठा

नेता नहीं, अफसर जिम्मेदार? भारतीय ब्यूरोक्रेसी पर बड़ा ...

पूर्व IAS डॉ. राकेश वर्मा के नजरिए से जानिए, क्यों 70 साल की नाकामियों के लिए ने...

फर्जी मुठभेड़, नया संविधान और लोकतंत्र पर संकट

फर्जी मुठभेड़ों, अफसरशाही और ‘नए संविधान’ की बहस के बीच भारतीय लोकतंत्र किस मोड़...

भारतीय लोकतंत्र का प्राणस्वर, संविधान दिवस

26 नवंबर सिर्फ संविधान की अंगीकृति नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की नैतिक और वैचार...

छोटे कदम, बड़ा बदलाव: माँसाहार निषेध दिवस का संदेश | स्...

माँसाहार त्यागना न केवल पशु पीड़ा रोकता है, बल्कि स्वास्थ्य, जलवायु और मानवता की...

लचित बोरफुकन जयंती: सराईघाट के वीर सेनानायक की अटल विरासत

24 नवंबर को मनाया जाने वाला लचित बोरफुकन दिवस असम और भारत की वीरता का प्रतीक है।...

गुरु तेग बहादुर: समय को थामने वाला बलिदान और न्याय का अ...

गुरु तेग बहादुर की शहादत केवल सिख इतिहास की घटना नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता,...

मुद्रा का नया सवेरा: विश्वास से परे, गणित के भरोसे

$103,600 की बिटकॉइन कीमत वैश्विक मौद्रिक व्यवस्था में भूचाल ला रही है। सोने के ब...

जब अदृश्य हुआ दृश्य: चिकित्सा इमेजिंग का प्रकाशपर्व

रॉन्टगन की एक्स-रे खोज से लेकर आधुनिक CT, MRI और PET तक यह संपादकीय चिकित्सा इमे...

धान से दुनिया तक: भारत का पोषण क्रांति अभियान

पोर्ट मोरेस्बी में पहुँचे 20 टन भारतीय फोर्टिफाइड चावल ने भारत की वैश्विक पोषण न...

तस्वीर नहीं, व्यवस्था बदलनी है निलंबन नहीं, इंसानियत बह...

श्योपुर के तिरंगापुरा स्कूल में बच्चों को अख़बार पर खाना परोसने की घटना ने मिड-ड...

सृष्टि या प्रयोगशाला: इंसान को गढ़ने का अधिकार किसका?

यह संपादकीय जेनेटिक इंजीनियरिंग के नैतिक, वैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों पर गहरी ...

जोहरान ममदानी : दीवारें तोड़ने वाला मुसलमान

न्यूयॉर्क के विधायक जोहरान ममदानी ने साबित किया कि राजनीति पहचान से नहीं, इंसानि...

जहाँ लफ़्ज़ रूह बन जाते हैं, विश्व उर्दू दिवस और मोहब्ब...

जहाँ हर लफ़्ज़ में रूह की ख़ुशबू और हर तर्ज़ में एहसास की नरमी है, वही है उर्दू।...

हथकड़ी से पहले वजह, न्याय की मानवीय मिसाल

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला (6 नवंबर 2025): अब किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार क...

अगर धरती नहीं बचेगी, तो कौन जीतेगा युद्ध? | 6 नवंबरअंतर...

युद्ध सिर्फ सैनिकों की जान नहीं लेता, वह धरती की साँस भी छीन लेता है। 6 नवंबर का...

गुरुनानक: मानवता के आलोक में लौटने का आह्वान

गुरु नानक देव जी के तीन सिद्धांत नाम जपो, कीरत करो, वंड छको आज भी भारतीय समाज को...