संपादकीय चिट्ठा

समकालीन परिप्रेक्ष्य में बुद्ध के विचार

आज जब विश्व ध्रुवीकरण और संघर्षों से जूझ रहा है, बुद्ध का संदेश “हमें स्वयं ही अ...

मातृत्व की अच्छाई, बेटी-बहु का भेद और महिला ही महिला की...

मातृ दिवस हमें चिंतन का अवसर देता है। हमें बेटी-बहु के भेद को मिटाना होगा और 'मह...

सोशल मीडिया : बचपन की मासूमियत का चोर

सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव बच्चों के बचपन को छीन रहा है, उनकी मासूमियत और रचनात...

पुलिस सेवा का आदर्श : ना काहू से प्रेम, ना काहू से द्वेष

पुलिस सेवा का आदर्श वही है, जो विधवा ब्राह्मणी की तरह निस्वार्थ, निर्भीक और निष्...

आदि शंकराचार्य जयंती: अद्वैत के प्रकाश से आधुनिक युग तक

आदि शंकराचार्य जयंती भारतीय संस्कृति, धर्म और दर्शन के महान प्रतीक की याद दिलाती...

क्या भ्रष्टाचार से हार रहा भारत?

भारत की भ्रष्टाचार से जीत की जंग लंबी और जटिल है। मजबूत इच्छाशक्ति, पारदर्शी नीत...

राम से राष्ट्र की संकल्पना – समकालीन परिप्रेक्ष्य में ए...

भारत में सामाजिक असमानता, सांप्रदायिक तनाव और अपराध की बढ़ती घटनाएँ रामराज्य की ...

जातीय जनगणना : एक संतुलित दृष्टिकोण

जातीय जनगणना भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को समझने और वंचित समुदायों को सशक्त...

भारतीयता की अंतर्दृष्टि: एक जीवंत दर्शन

भारतीयता की अंतर्दृष्टि हमें सिखाती है कि सच्चा विकास वही है जो आत्मा को समृद्ध ...

मई दिवस: श्रमिकों की एकता और संघर्ष का प्रतीक

मई दिवस श्रमिकों की एकता, संघर्ष और उपलब्धियों का प्रतीक है, जिसकी जड़ें 1886 के...

उत्तर प्रदेश में खाकी का आतंक और भारतीय पुलिस व्यवस्था ...

जौनपुर, उत्तर प्रदेश के वायरल वीडियो में एसएचओ विनोद मिश्रा द्वारा एक व्यक्ति की...

जनसूचना : स्वराज का रास्ता

जनसूचना स्वराज का रास्ता तभी बन सकती है, जब हम इसे एक अधिकार से आगे बढ़कर एक संस...

हिंदी कहानी : नई-पुरानी परंपराओं का संनाद और बदलता परिद...

हिंदी कहानी की यात्रा अतीत की धरोहर और भविष्य की संभावनाओं का संगम है। यह विधा म...

पहलगाँव हमले के बाद भारत सरकार के कदम कितने प्रभावी?

पहलगाँव हमले के बाद भारत सरकार के कदम त्वरित, निर्णायक और प्रतीकात्मक रूप से शक्...

आतंकवाद का घिनौना चेहरा और भारत की चुनौतियाँ

पहलगाम हमला आतंकवाद का एक और घिनौना चेहरा है, जो निर्दोष लोगों की जान लेने से नह...