विद्यासागर विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस का आयोजन | हिंदी एक उदार और समावेशी भाषा

विद्यासागर विश्वविद्यालय, मिदनापुर में हिंदी दिवस 2025 पर 'हिंदी: कल और आज' विषय पर परिचर्चा, काव्यपाठ, काव्य आवृत्ति, भावनृत्य और हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित हुई। विद्वानों ने हिंदी को सांस्कृतिक पुल और समावेशी भाषा बताया।

Sep 16, 2025 - 17:47
Sep 16, 2025 - 17:48
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विद्यासागर विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस का आयोजन | हिंदी एक उदार और समावेशी भाषा
आयोजन में उपस्थित विद्यार्थी एवं प्राध्यापक

मिदनापुर, 17 सितंबर 2025 विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में 'हिंदी: कल और आज' विषय पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परिचर्चा, काव्यपाठ, काव्य आवृत्ति, आशुभाषण, भावनृत्य, हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता और कविता कोलाज जैसे विविध कार्यक्रम हुए।

कार्यक्रम का शुभारंभ विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार प्रसाद के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने कहा, “अंग्रेजी तोड़ती है, पर हिंदी समाज को जोड़ती है।”

प्रो. दामोदर मिश्र ने हिंदी की गौरवशाली परंपरा को रेखांकित करते हुए कहा कि आज कृत्रिम बुद्धि (AI) भाषा के सामने एक चुनौती है, परंतु तकनीक का संचालक मनुष्य ही होना चाहिए, न कि उसका गुलाम।

डॉ. रेणु गुप्ता ने कहा कि हिंदी की आवश्यकता को आज विश्व भी समझ रहा है। लेकिन जब तक हम अपनी भाषा को आगे नहीं बढ़ाएँगे, तब तक दुविधा बनी रहेगी।

डॉ. संजय जायसवाल ने हिंदी को उदार, समावेशी और भारतीयता की रक्षा से जुड़ी भाषा बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी सभी भारतीय भाषाओं के बीच सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक पुल का कार्य करती है।

 सांस्कृतिक एवं साहित्यिक प्रस्तुतियाँ

 काव्य आवृत्ति: रुथ कर, अंजली शर्मा, मो. निसार अहमद

 काव्यपाठ: नंदिनी सिंह, लक्ष्मी यादव, बिट्टी कौर, सुषमा कुमारी

 आशु भाषण: नंदिनी सिंह, विवेक भोला, निसार अहमद, बिट्टी कौर

 कविता कोलाज: रुथ कर, अंजली शर्मा, अनुराधा, नसरीन बानो, मौली मुखर्जी

 हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता:

 प्रथम स्थान: रुथ कर, अंजली शर्मा, बिट्टी कौर

 द्वितीय स्थान: राधे मोहन, प्रिया मिश्रा, रंभा कुमारी

 भाव नृत्य: नेहा चौबे और नंदिनी सिंह

संगीत प्रस्तुति: माही साव

समारोह का संचालन शोधार्थी सुषमा कुमारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. श्रीकांत द्विवेदी ने प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने एक स्वर में यह संदेश दिया कि हिंदी मात्र भाषा नहीं, बल्कि भारतीय समाज की आत्मा और संस्कृतिक शक्ति है।

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