जोगेश चंद्र चौधरी कॉलेज में हिंदी दिवस का आयोजन | हिंदी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर विमर्श

जोगेश चंद्र चौधरी कॉलेज, कोलकाता में हिंदी दिवस 2025 पर 'हिंदी भाषा : जीवन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता' विषय पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने हिंदी की डिजिटल दुनिया में बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला।

Sep 16, 2025 - 18:00
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जोगेश चंद्र चौधरी कॉलेज में हिंदी दिवस का आयोजन | हिंदी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर विमर्श
विमर्श में उपस्थित अतिथि एवं प्राध्यापक

‘हिंदी भाषा : जीवन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ विषय पर विशेष विमर्श

कोलकाता, 15 सितंबर 2025 जोगेश चंद्र चौधरी कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष समारोह का मुख्य विषय था ‘हिंदी भाषा : जीवन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता’।

कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. पंकज कुमार रॉय ने अपने प्रेरक उद्बोधन से किया। इसके बाद टीसीएस बिद्युत रॉय ने अपने विचार रखते हुए हिंदी की सामाजिक और तकनीकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि का वक्तव्य

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुनील कुमार शर्मा थे, जिनका रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों रखरखाव प्रबंधन, संचालन, मानव संसाधन, सार्वजनिक क्षेत्र शासन और आपदा प्रबंधन में 24 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने अपने वक्तव्य में हिंदी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के रिश्ते पर विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने कहा कि “आज हिंदी भाषा भी AI की तकनीकों अनुवाद, वाक्-पहचान, वॉयस असिस्टेंट, चैटबॉट और स्वचालित लेखन में तेजी से जगह बना रही है। यह हिंदी को डिजिटल दुनिया में न केवल मजबूती प्रदान कर रही है, बल्कि ज्ञान-विज्ञान और शोध के नए आयाम भी खोल रही है।”

 सम्मान और प्रस्तुतियाँ

इस अवसर पर विभाग की पूर्व छात्रा लक्ष्मी गुरुंग को सम्मानित किया गया, जिन्होंने हाल ही में कनिष्ठ हिंदी अनुवादक की परीक्षा उत्तीर्ण की है।

हिंदी विभाग के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत भीति पत्रिका आकर्षण का केंद्र रही। साथ ही काव्यपाठ एवं आशुभाषण प्रतियोगिता ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।

 अन्य गतिविधियाँ

 विभाग की शिक्षिका डॉ. प्रियंका ठाकुर ने विषय पर अपने विचार रखे और डॉ. सुनील कुमार शर्मा की एक कविता का वाचन भी किया।

 कार्यक्रम का सफल संचालन काजल एवं ज़ीशान ने किया।

 समारोह का समापन विभागाध्यक्ष डॉ. एकता हेला के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

यह आयोजन न केवल हिंदी दिवस का उत्सव था बल्कि इसने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदी भाषा तकनीकी युग में भी समान रूप से सशक्त और प्रासंगिक है।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I